कमाल की है टमाटर की यह खास वैरायटी, खुद बीमार नहीं होगी और आपकी सेहत की भी करेगी रक्षा
पंजाब के लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने टमाटर की ऐसी वैरायटी विकसित किया है जो खुद भी बीमारियों से दूर रहेगी और हमारी सेहत की भी रक्षा करेगी।
लुधियाना, [आशा मेहता]। पंजाब के लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने टमाटर की कमाल की वैरायटी विकसित की है। इस टमाटर और इसके पौधे पर कोई बीमारी असर नहीं करेगा। इसके साथ ही इसका स्वाद विशिष्ट होने के साथ ही यह हमारी सेहत का भी ध्यान रखेगा। पीएयू ने इसका नाम पीटीएच-2 (पंजाब टोमेटो हाईब्रीड टू) रखा है।
बता दें कि देश में प्रत्येक वर्ष लेट ब्लाइट यानी पिछेता झुलस रोग और रूट नॉट नीमाटोडस यानी जड़ गांठ रोग की वजह से टमाटर लगाने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जब भी यह दोनों बीमारियां टमाटर की फसल पर आती है, तो इससे बचाव के लिए किसानों को स्प्रे पर काफी खर्च करना पड़ता है। किसानाें को इसी खर्च से बचाने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने टमाटर की ये खास वैरायटी तैयार की है। टमाटर के इस वैरायटी के पौधे को लेट ब्लाइट और रूट नॉट नीमाटोडस रोग नहीं नहीं लगेगा। यह वैरायटी में नीमाटोडस की गांठें नहीं गांठें नहीं बनने देती।
पीएयू ने टमाटर की लेट ब्लाइट व रूट नॉट नीमाटोडस रजीसटेंस वैरायटी तैयार की
कृषि विज्ञानियों ने करीब पांच साल की शोध करके इस वैरायटी को तैयार किया है। कृषि विज्ञानियों का दावा है कि यह देश की पहली ऐसी वैरायटी है, जो उक्त दोनों बीमारियों से लड़ने में सक्षम है। पीएयू के सब्जी विज्ञान विभाग के असिस्टेंट वेजिटेबल ब्रीडर डा. एसके जिंदल और डा. एमएस धालीवाल ने तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
किसानों का स्प्रे का खर्च बचेगा, लोगों की सेहत रहेगी दुरूस्त
पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड के उपरी इलाके, जम्मू कश्मीर सहित अन्य ऐसे इलाके जहां पर नमी ज्यादा होती है, वहां उगाएं जाने वाले टमाटरों की फसल पर हर साल लेट ब्लाइट यानी पिछेता झुलस रोग और रूट नॉट नीमाटोडस बीमारी देखने को मिलती है। पंजाब की बात करें तो यहां लेट ब्लाइट बीमारी दिसंबर जनवरी महीने में लगती है। इस दौरान हवा में नमी ज्यादा और तापमान कम हो जाता है।
लेट ब्लाइट बीमारी आती है, तो टमाटर के पत्ते झुलस जाते हैं। धीरे धीरे पूरा पौधा मर जाता है। जबकि जमीन में नीमाटोडस जीवाणु पहले से ही होते है। यह जीवाणु जड़ों को बांध लेते हैं और जमीन के अंदर टमाटर की जड़ों को गांठों में तबदील कर देते हैं। जिससे टमाटर की फसल की ग्रोथ प्रभावित होती है।
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लोग ले सकेंगे कैमिकल फ्री टमाटर का स्वाद
डा. एसके जिंदल ने कहा कि टमाटर की फसल जब लेट ब्लाइट बीमारी आती है, तो उससे बचाव के लिए पेस्टीसाइड स्प्रे किया जाता है। अनुमानन स्प्रे पर प्रति एकड़ पांच से छह हजार रुपये का खर्च आ जाता है। कई बार तो दिन में अधिक बार स्प्रे करने से यह खर्च बढ़ भी जाता है। जबकि पंजाब टोमेटो हाईब्रीड टू वैरायटी लेट ब्लाइट व रूट नॉट नीमाटोडस रेजीसटेंस है। इसके कारण इस वैरायटी पर पेस्टीसाइज स्प्रे की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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इससे किसानों का पेस्टीसाइज पर आने वाला खर्च तो बचेगा, वहीं किसान कैमिमल फ्री टमाटर पैदा कर सकते हैं। इसका फायदा उपभोक्ताओं को होगा। उपभोक्ताओं को मार्केट में कैमिकल फ्री टमाटर मिलने तो उनकी सेहत भी अच्छी रहेगी। टमाटर में सेहत के लिए कई गुणगाकारी तत्व होते हैं। जिसमें एंटी आक्सीडेंट व विटामिन सी प्रमुख है। यह दोनों तत्व कई तरह की बीमारियों से बचाव करते हैं।
उपज में भी बेहतर
डा. एसके जिंदल ने कहा कि पंजाब टोमेटो हाईब्रीड टू का उत्पादन भी काफी अधिक है। एक टमाटर का वजन करीब 76 से 80 ग्राम के बीच है। उत्पादन की बात की जाए तो हाइब्रीड होने की वजह से इसका औसतन झाड़ 270 क्विटंल प्रति एकड़ है। जो कि अन्य से ज्यादा है।
प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व सेहत के लिए अच्छी है यह वैरायटी
डा. एसके जिंदल के अनुसार पंजाब टोमेटो हाईब्रीड टू में टीएसएस (टोटल सोलीवुल सोलिड) की मात्रा 4.2 है। लाइकोपिन तत्व की मात्रा 4.7 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम है। लाइकोपिन व टीएसएस तत्व के टमाटर प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए बढ़िया माने जाते है, क्योंकि इससे से गाढ़ा व गहरा लाल रंग आता है। लोग लाल रंग के टमाटर को बहुत पसंद करते है।
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