Text Neck: स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से युवा हाे रहे इस बीमारी का शिकार, लुधियाना में 3 हजार केस आए सामने
Text Neck News जिले के युवा टेक्स्ट नेक का शिकार हाे रहे हैं। माेबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से ही यह खतरा रहता है। पिछले दो सालों के दौरान टेक्स्ट नेक की समस्या से पीड़ित करीब 2500 से 3000 के बीच मरीज सामने आ चुके हैं।

आशा मेहता, लुधियाना। Text Neck: ऐसे लोग जो स्मार्टफोन पर दिन-रात घंटों तक टेक्स्टिंग करते हैं जरा सतर्क हो जाएं। स्मार्टफोन का लगातार इस्तेमाल ‘टेक्स्ट नेक’ बीमारी की चपेट में ले सकता है। इससे पीड़ित मरीजों को गर्दन, कंधे और स्पाइन में असहाय दर्द से जूझना पड़ता है। किशोरों व युवाओं में यह बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है। खासकर, पिछले दो सालाें में कोरोना काल में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस बीमारी को शुरूआत में नियंत्रित करने की तरफ ध्यान न दिया जाएं, तो स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती है। जब इससे स्ट्रेस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो मरीज गर्दन को इधर उधर घूमा नहीं पाते है।
क्या है टेक्स्ट नेक
ओरिसन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डायरेक्टर ओर्थोपेडिक डा. नीरज बांसल कहते हैं कि टेक्स्ट नेक मतलब जो लोग गर्दन को आगे की तरफ झुकाकर घंटों तक फोन पर सारा सारा दिन टेक्स्टिंग करते रहते हैं। ऐसे लोगों की गर्दन में अकड़न पैदा हो जाती है। सिर का वजन हमारी गर्दन और स्पाइन पर होता है। टेक्स्टिंग करने के दौरान सिर की पोजीशन गलत होती है। सिर और गर्दन एक ही पोजिशन में नीचे की तरफ झुके रहने स्पाइन पर स्ट्रेस बढ़ जाता है। ध्यान न देने पर यह पेनफुल हो जाता है।
दो सालों में तीन हजार से अधिक मरीज आए सामने
डा. बांसल कहते हैं कि कोरोना से पहले तक ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से केवल तीन से चार मरीज ही टेक्स्ट नेक की समस्या के साथ आते थे, लेकिन मार्च 2020 में कोरोना महामारी के आने के 4 से 5 महीने बाद और पिछले साल तक अगर उनकी ओपीडी में रोजाना 100 मरीज आ रहे थे, तो उसमें से 30 से 35 मरीज टेक्स्ट नेक की समस्या के साथ आए थे। अब जब पिछले तीन-चार महीनों से कोरोना संक्रमण काफी कम होने पर आनलाइन स्टडी और वर्क फ्राम होम लगभग बंद हाे गया हैं, तो भी टेक्स्ट नेक की समस्या से पीड़ित रोजाना 20 से 25 मरीज आ रहे हैं। पिछले दो सालों के दौरान टेक्स्ट नेक की समस्या से पीड़ित करीब 2500 से 3000 के बीच मरीजों को देख चुके होंगे।
किशोर और युवा बीमारी की चपेट में अधिक
डा. बांसल कहते हैं कि टेक्स्ट नेक की बीमारी किशोरों और युवाओं में अधिक देखी जा रही है। खासकर, आनलाइन स्टडी करने वाले स्टूडेंटस और वर्क फ्राम होम करने वाले लोगों में। हालांकि अब आनलाइन स्टडी व वर्क फ्राम होम खत्म हो चुका है, लेकिन कोरोना काल के दौरान जरूरत के चलते फोन का अत्याधिक इस्तेमाल अब मौजूदा समय में आदत बन गया है। उनकी ओपीडी में टेक्स्ट नेक समस्या को लेकर रोजाना अगर 50 मरीज आते हैं, तो उसमें से 20 प्रतिशत मरीजों की उम्र 10 से 16 साल के बीच होती है, जबकि बाकी के 30 प्रतिशत मरीज 18 से 35 साल की उम्र के होते हैं। हिस्ट्र्री पूछने पर किशोर व युवा बताते हैं कि दिन में वह स्मार्टफोन पर रोजाना वह सात से आठ घंटे बिताते हैं।
जरूरी होने पर ही फोन के इस्तेमाल व एक्सरसाइज से बीमारी से बचा जा सकता है
डा. नीरज बांसल कहते हैं कि बीमारी के इलाज में दवाओं का बहुत बड़ा रोल नहीं है। जरूरी होने पर ही स्मार्ट फोन के इस्तेमाल और एक्सरसाइज से बीमारी से बचा जा सकता है। टेक्स्ट नेक बीमारी से बचने के लिए किशोरों, युवाओं और दूसरे लोगों को बेवजह और शौक के तौर पर स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। जरूरी होने पर फोन का इस्तेमाल करना पड़े, तो कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। जरूरी कामों की वजह से फोन पर दूसरे लोगों के साथ टेक्सिंग कर रहा हो, तो उसे कभी भी एक ही पोजिशन में ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए। फोन के इस्तेमाल के दौरान हर 30 मिनट बाद ब्रेक लेनी चाहिए। रोजाना गर्दन संबंधी एक्सरसाइज करनी चाहिए।
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