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    Stubble Burning In Punjab: पराली संकट पर सरकार की उदासीनता पड़ेगी भारी, 2 सप्ताह में सांस लेना भी होगा मुश्किल

    Stubble Burning In Punjab पंजाब में सरकार की अनदेखी के चलते कई जगह पराली जलाई का सिलसिला जारी है। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री मान के गृह जिले संगरूर में ही साेमवार काे सर्वाधिक 330 स्थानों पर पराली जलाई गई।

    By Gaurav SoodEdited By: Vipin KumarUpdated: Tue, 01 Nov 2022 12:02 PM (IST)
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    Stubble Burning In Punjab: बठिंडा में साेमवार काे गांव गुरथड़ी पराली जलाते लाेग। (एएनआइ)

    गौरव सूद, पटियाला। Stubble Burning In Punjab: पंजाब सरकार पराली संकट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। यदि इसी तरह उदासीन रवैया रहा तो आने वाले दो सप्ताह में पंजाब में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान भले ही दावा कर रहे हों कि सरकार पराली निस्तारण के लिए 8 सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रही है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। इस सीजन की बात करें तो सोमवार को पंजाब में पराली जलाने की सबसे ज्यादा 2131 मामले दर्ज किए गए। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले संगरूर में ही किसानों ने सर्वाधिक 330 स्थानों पर पराली जलाई।

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    2021 के मुकाबले ज्यादा जल रही पराली

    राज्य में अभी तक कुल 16,004 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष अब 13,124 केस थे, जो 2021 के मुकाबले 2880 ज्यादा हैं। इस लिहाज से आने वाले दो सप्ताह बेहद चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं, क्योंकि वर्ष 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि 15 सितंबर से 31 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुल 13,124 मामले थे, जबकि एक नवंबर से 15 नवंबर तक इनकी संख्या 67,165 पहुंच गई थी। महज 15 दिनों में ही 54 हजार से ज्यादा केस सामने आए। यानी शुरू के 45 दिनों में 20 प्रतिशत और आखिरी 15 दिनों में 80 प्रतिशत पराली जलाई गई। 15 नवंबर तक किसान गेहूं की बोआई शुरू कर देंगे। इसलिए किसान अब खेत तैयार करने के लिए जल्दी-जल्दी पराली को जलाकर खत्म करेंगे।

    कानून को ठेंगा दिखा रहे किसान

    किसान सरेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं। फील्ड में जाने वाले कृषि व राजस्व अधिकारियों को बंधक बनाया जा रहा है। खुलेआम पराली जलाने का एलान किया जा रहा है, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई होती नहीं दिख रही। मामूली जुर्माना व रेड एंट्री की जा रही है। पिछली बार सरकार ने किसानों के विरोध को देखते हुए जुर्माना माफ कर दिया था। आठ सूत्रीय एजेंडा के नाम पर भी खानापूर्ति ही की जा रही है। हालांकि, रविवार को चार कृषि अधिकारियों को निलंबित किया गया था, लेकिन किसानों पर सरकार नर्मी ही दिखा रही है।

    धान की कटाई एक सप्ताह देरी से हुई है शुरू

    पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग का कहना है कि कृषि विभाग की तरफ से किसानों को पराली के सही निस्तारण के लिए मशीनें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। पराली को फैक्ट्रियों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। पटियाला के गांव सिद्धूवाल के किसान हरपाल सिंह का कहना है कि इस बार वर्षा के कारण धान की कटाई एक सप्ताह देरी से शुरू हुई। मशीनों से निस्तारण कर भी लेते हैं, तो बायोमास प्लांट वाले कई-कई दिन तक पराली खेत से नहीं उठाते। इससे गेहूं की बोआई में देरी हो जाएगी।

    मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआइ 69, पटियाला का 50 अंक बढ़ा

    पराली जलने का असर प्रदूषण पर भी दिख रहा है। सोमवार को मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआइ रविवार की तुलना में 69 अंक ज्यादा रहा, जबकि पटियाला में 50 अंक की बढ़ोतरी दिखी। लुधियाना, अमृतसर व जालंधर में इसमें गिरावट दर्ज की गई।