लुधियाना सड़कों पर आवारा कुत्तों का राज बरकरार, नसबंदी प्रोग्राम के बावजूद नहीं घटी संख्या
लुधियाना में आवारा कुत्तों की समस्या जस की तस बनी हुई है। नगर निगम द्वारा 2015 में शुरू किए गए नसबंदी कार्यक्रम के बावजूद कुत्तों की संख्या में कोई कम ...और पढ़ें

दस साल से नसबंदी प्रोग्राम नतीजे जीरो (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददता, लुधियाना। साल 2015 में निगम की तरफ से एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) के तहत नसबंदी प्रोग्राम को शुरू किया गया था।
कुत्तों की नसबंदी करने का जिम्मा एक निजी कंपनी को सौंपा गया था। उस समय निगम अधिकारियों का दावा था कि शहर में लगभग 25 हजार कुत्तें है। जिनकी कुछ साल में नसबंदी कर दी जाएगी।
साल 2021 में निगम ने लगभग एक करोड़ की लागत से एबीसी सेंटर को तैयार कर दिया। उस समय यह दावा किया गया कि अभी तक 35 हजार कुत्तों की नसबंदी का काम हो चुका है।
अब दोबारा 35 हजार कुत्तों की नसबंदी करने का काम शेष है। साल 2025 तक यह आकंड़ा 1.25 लाख तक पहुंच चुका है। अभी हालात फिर से वहीं है कि 35 हजार कुत्तों की नसबंदी का काम बाकी है।
निगम द्वारा तैयार किए गए एबीसी सेंटर में प्रतिदिन 30 कुत्तों की नसबंदी को किया जाता है। क्योंकि इनके पास कुत्तों को रखने के लिए 22 कैनल है। इसमें छह कैनल में कुत्तों को पकड़ कर रखा जाता है।
शेष 16 कैनल में कुत्तों की नसबंदी के बाद रखा जाता है। इस तरह अगर 50 हजार शेष कुत्तों की नसबंदी को पूरा करने में तीन साल लग जाएंगे।
जिन कुत्तों की नसबंदी का काम पूरा नहीं होगा, उस समय तक शहर में दोबारा कुत्तों की संख्या वहीं पहुंच जाएगी। इस तरह नसबंदी का यह खेल कभी खत्म नहीं हो सकेगा।

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