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    Black Fungus In Punjab: लुधियाना में भी ब्लैक फंगस के छह मरीज, चार की सर्जरी; दो पीजीआइ रेफर

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Sun, 16 May 2021 09:53 AM (IST)

    Black Fungus In Punjab लुधियाना में भी ब्लैक फंगस के छह मरीज सामने आए हैं। अस्पताल के विभाग के हेड डाॅ. राजीव कपिला का कहना है कि पीजीआइ रेफर किए दोनों मरीज कोरोना संक्रमित थे और उन्हें ब्लैक फंगस भी हो गया था।

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    लुधियाना में अब तक सामने आ चुके हैं करीब 30 केस। (सांकेतिक तस्वीर)

     लुधियाना, जेएनएन। Black Fungus In Punjab: कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है। डीएमसी में बीस, सीएमसी में तीन और रमेश सुपर स्पेशलियटी अस्पताल में एक मरीज की पुष्टि के बाद अब ब्लैक फंगस के तीन मामले दीप अस्पताल में भी सामने आए हैं। सभी मरीज पहले कोरोना संक्रमित थे और इलाज के लिए कई दिन अस्पताल में भर्ती रहे थे। चार मरीजों की तो अस्पताल में सर्जरी कर दी गई जबकि दो मरीजों को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर किया गया है।

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    अस्पताल के विभाग के हेड डाॅ. राजीव कपिला का कहना है कि पीजीआइ रेफर किए दोनों मरीज कोरोना संक्रमित थे और उन्हें ब्लैक फंगस भी हो गया था। उन्हें आपरेट करने के लिए स्पेशल ओटी, स्पेशल पोस्ट रिकवरी वार्ड चाहिए होता है। ऐसे में हमने दोनों मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया है। बाकी के चारों मरीज कोरोना से रिकवर कर चुके थे इसलिए उनकी सर्जरी अस्पताल में ही की गई। जिन चार मरीजों की सर्जरी की गई ब्लैक फंगस उनके नाक में था। दो मरीजों में नाक से आगे आंख तक पहंच गया था। एक मरीज की आंख निकालनी पड़ी। दूसरे की आंख को बचा लिया गया।

    डाॅ. कपिला ने बताया कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को सतर्क रहने जरूरत है। वह भी सर्तक रहें जिन्हें अभी कोरोना संक्रमण है। अगर उनकी आंख में दर्द, चेहरे की त्वचा में दर्द, नाक से रेशा, आंख में सूजन, दांत हिलने लगे, नाक बंद होने की शिकायत हो तो ब्लैक फंगस का इंफेक्शन हो सकता है। तुरंत डाक्टर से चेक करवाएं। समय पर इलाज हो जाए तो जान बचाई जा सकती है।
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    डाक्टर और एक्सपर्ट की राय ही लें
    डा. राजीव कपिला का कहना है कि मौजूदा समय में बहुत मरीजों को जब खांसी, बुखार, कफ, चेस्ट में इंफेक्शन होता है तो वह मेडिकल स्टोर से दवा ले लेते हैं। यह खतरनाक हो सकता है। उन्हें डोज का आइडिया नहीं होता है। बहुत सारे लोग हाई डोज ले लेते हैं। हम मरीज को स्टेरायड तब देते हैं जब उसका आक्सीजन का स्तर 93 प्रतिशत से कम हो।

     

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