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Navratri 2022: लुधियाना के श्री शक्ति दुर्गा मंदिर में भक्तों की असीम आस्था, नवरात्रों पर लगती है भीड़

Navratri 2022 मंदिर का इतिहास लगभग 56 वर्ष पुराना है। मंदिर की स्थापना 15 अप्रैल 1966 को पंडित विश्शेवर दयाल जोशी के कर कमलों से हुई थी। पंडित दयाल जोशी ने 1966 से लेकर सन 1984 तक मंदिर में सेवा निभाई।

By JagranEdited By: DeepikaPublished: Wed, 28 Sep 2022 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:44 PM (IST)
Navratri 2022: लुधियाना के श्री शक्ति दुर्गा मंदिर में भक्तों की असीम आस्था, नवरात्रों पर लगती है भीड़
Navratri 2022: बाबा थान सिंह नगर स्थित श्री शक्ति दुर्गा मंदिर। (जागरण)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Navratri 2022: शहर के बाबा थान सिंह नगर स्थित श्री शक्ति दुर्गा मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में श्री दुर्गा माता दरबार सहित शिव परिवार, भैरोंनाथ, पवनपुत्र हनुमान आदि की मूर्तियां स्थापित है, जो आकर्षण का केंद्र है।

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धूमधाम से मनाया जाता है मूर्ति स्थापना दिवस

पुजारी हरीश चंद्र ने बताया कि हर वर्ष 15 अप्रैल को मंदिर में श्री दुर्गा माता का मूर्ति स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक मंगलवार को सुषमा कत्याल द्वारा अपनी महिला मंडली के साथ संकीर्तन भी किया जाता है, जिससे सब मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

मुराद पूरी करने के लिए नतमस्तक होते हैं भक्त

मंदिर में नवरात्रों पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है। माता रानी के दर्शनों को सब आतुर दिखाई देते हैं। हर कोई अपनी मुराद पूरी होने की उम्मीद में यहां नतमस्तक होता है और मां को प्रसन्न करने का प्रयास करता है। 

मंदिर का इतिहास 56 वर्ष पुराना

बता दें कि, मंदिर का इतिहास लगभग 56 वर्ष पुराना है। मंदिर की स्थापना 15 अप्रैल, 1966 को पंडित विश्शेवर दयाल जोशी के कर कमलों से हुई थी। पंडित दयाल जोशी ने 1966 से लेकर सन 1984 तक मंदिर में सेवा निभाई थी। 1984 के दंगों में पंजाब का माहौल खराब होने के कारण वे दिल्ली चले गए थे। फिर पंडित दयाल जोशी के पश्चात उनके सुपुत्र हरीश चंद्र 1984 से इस मंदिर में अपनी सेवा निभा रहे हैं।

मान्यता- माता के दरबार में जरूर पूर्ण होती है हर इच्छा

मंदिर प्रांगण में भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व, शिवरात्रि, श्रावण मास, नवरात्र, अन्नकूट एवं विश्वकर्मा दिवस आदि उत्सव बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से मनाएं जाते हैं। माता के द्वार में जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं वो जरूर पूर्ण होती है ऐसी मान्यता है। -पंडित हरीश चंद्र

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