Sanskarshala: प्रिंसिपल नीरू कौड़ा का संदेश, उसूलों पर कायम रहें, सकारात्मक विचार वाले रखें दोस्त
Sanskarshala बीसीएम स्कूल जमालपुर की प्रिंसिपल नीरू कौड़ा ने कहा कि बच्चों को कभी कभी न साथियों के कारण होने वाले दबाव का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सोचें कि वास्तव में आप क्या चाहते हैं?

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Sanskarshala: नव जीवन में मित्रता का बहुत महत्व होता है। सच्चे मित्र भगवान का आशीर्वाद होते हैं। वे हमारी जिंदगी को जीने लायक बनाते हैं। साथियों का प्रभाव, दोस्तों द्वारा स्वीकार किए जाने और सराहना की आवश्यकता बच्चे के बढ़ते चरण की एक प्राकृतिक घटना है। साथियों का दबाव यानी समान हितों, अनुभवों या सामाजिक स्थिति वाले सामाजिक समूहों के सदस्यों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव है।
किशोरावस्था में यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। इस आयु में बच्चे कई तरह के परिवर्तनों से गुजर रहे होते हैं उनमें शारीरिक व मानसिक बदलाव भी आते हैं। ऐसे समय में बच्चे अत्यधिक दबाव का अनुभव करते हैं और अपनी समस्याएं किसी के साथ बांट नहीं पाते। उन्हें कभी न कभी अपने साथियों के कारण होने वाले दबाव का सामना करना पड़ता है। संभव है कि आप कई मामलों में साथियों का दबाव महसूस करें। जैसे आपके साथियों का ग्रुप ऐसी जगह जा रहा है जहां जाने को लेकर आप अनिश्चित हैं। कुछ साथी आपसे आग्रह कर रहे हैं कि उनकी पसंद के कुछ क्लबों में आप शामिल हो। उसी तरह के कपड़े पहनना जैसे कि अन्य पहन रहे हैं।
हर कोई उस फिल्म या सीरियल के बारे में बात कर रहा है जिसके बारे में आपको पता नहीं है। आप खुद को अपडेट रखने का दबाव महसूस कर रहे हैं। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए यह याद रखना आवश्यक है कि आप ऐसा कुछ करने के लिए बाध्य नहीं है जो आपको ठीक नहीं लगता। यदि आप साथियों के दबाव का सामना कर रहे हैं तो इस बारे में सोचें कि वास्तव में आप क्या चाहते हैं ? एक बार जब तय कर लें कि आप क्या चाहते हैं तो उस पर अडिग रहें। उन स्थितियों के लिए तैयार रहें जहां आप दबाव महसूस कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए यदि मुझे पीने के लिए मजबूर किया जाता है तो मैं न ही कहूंगा। यदि फिर भी आप जिद करेंगे तो मैं चला जाऊंगा। अपनी तरह के लोगों को साथ रखें। ऐसे एक या दो लोगों को साथ रखें जिनके उसूल आप ही की तरह के हों। इससे आपको मदद मिलेगी। अन्य ऐसे लोगों को भी तलाशें जो खुद भी ऐसे दबावों का विरोध करते हैं, पर साथियों का दबाव सदैव नकारात्मक हो यह आवश्यक नहीं है।
दबाव सकारात्मक भी हो सकता है और आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है। अंत में लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो कि दोस्ती दिल पर सवार हो जाए। भटक जाओ न कहीं चलते चलते और जिंदगी तुम्हारी बेकार हो जाए। - नीरू कौड़ा, प्रिंसिपल बीसीएम स्कूल जमालपुर।
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