Bhagat Singh Birth Anniversary: पंजाब के इस गांव में बचपन में आते थे बलिदानी भगत सिंह, पढ़ें राेचक इतिहास
Bhagat Singh Birth Anniversary पंजाब के गांव खटकड़ कलां आया करते थे। यहां से शहीद भगत सिंह की यादें जुड़ी है। बचपन में वह दादा के साथ यहां आते थे। बलिदानी भगत सिंह का खटकड़ कलां से खासा नाता रहा है।
आनलाइन डेस्क, लुधियाना। Bhagat Singh Birth Anniversary: देश काे आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजाें से लाेहा लेने वाले बलिदानी भगत सिंह का पंजाब से गहरा नाता रहा है। बताया जाता है कि भगत सिंह बचपन में खटकड़ कलां आया करते थे। पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार बनने के बाद खटकड़ कलां चर्चा में आ गया है। देश महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की बुधवार काे 115वीं जयंती मना रहा है। भगत सिंह को जब फांसी दी गई थी, तो उनकी उम्र महज 23 वर्ष ही थी।
प्लेग के कारण छाेड़ा था गांव
भगत सिंह का जन्म लायलपुर (अब पाकिस्तान के फैसलाबाद के बंगा) में हुआ और उनकी परवरिश भी वहीं हुई, लेकिन वह अपने दादा अर्जुन सिंह के साथ बचपन में छुट्टियों में पैतृक गांव खटकड़ कलां आया करते थे। भगत सिंह के छोटे भाई कुलबीर सिंह के पोते यादविंदर सिंह बताते हैं, 'खटकड़ कलां में प्लेग फैलने के कारण ब्रिटिश सरकार ने गांव के लोगों को लायलपुर में जमीन आवंटित की थी, ताकि वे वहां खेती कर अपने परिवार का पालन कर सकें।' प्लेग के कारण ही भगत सिंह का परिवार खटकड़ कलां छोड़कर लायलपुर चला गया था।
फांसी के समय चेहरे पर थी मुस्कान
बताया जाता है कि जब भगत सिंह को फांसी दी जा रही थी, तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। यह देखकर अंग्रेज अधिकारी भी दंग रह गए थे। 28 सितंबर को जन्मे भगत सिंह के निधन वाले दिन को शहादत दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पंजाब में इस बार सरकार खास तरीके से शहीद-ए-आजम की जयंती मना रही है।
अंग्रेजों के बसाए 3490 चक में से एक था लायलपुर का बंगा
आइएएस अधिकारी आरके कौशिक के अनुसार खटकड़ कलां छोड़ कर लायलपुर जाने के पीछे दूसरा तर्क यह दिया जाता है कि 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जे के बाद चिनाब, झेलम नदी के आसपास के जंगलों को साफ करवाकर 3490 चक (गांव) बसाए, ताकि यहां ज्यादा से ज्यादा अनाज पैदा करके अपने देश व अन्य देशों में उनके कब्जे वाली कालोनियों में आपूर्ति की जा सके।