लुधियाना में सूफियां चौक हादसे का जिम्मेदार चार साल बाद भी नहीं पता चला, घटना में 16 लोगों की हुई थी मौत
लुधियाना में सूफियां चौक स्थित अमर संस पॉलिमर फैक्ट्री आग लगने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। हैरानीजनक बात है कि चार साल से ज्यादा समय बीत जाने पर आज तक इसी हादसे की जांच शुरू तक नहीं हो पाई है।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। सूबे के लोग 20 नवंबर 2017 के दिन शायद आजतक नहीं भूले है, क्योंकि इसी दिन लुधियाना के सूफियां चौक स्थित अमर संस पॉलिमर फैक्ट्री आग लगने से धराशाई हो गई थी। इस हादसे में भावाधस के राष्ट्रीय संचालक व चीफ सेनेटरी अफसर लक्ष्मण द्रविड़ सहित 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें तीन लोगों के शव तक नहीं मिले थे। इस हादसे की खबर लगते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद घटनास्थल पर जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। उस समय दावा किया गया था कि इस हादसे के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
हैरानीजनक बात है कि चार साल से ज्यादा समय बीत जाने पर आज तक इसी हादसे की जांच शुरू तक नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार इस हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कैसे होगी। गौरतलब है कि 20 नवंबर 2017 की सुबह सूफियां चौक स्थित अमर संस पॉलिमर फैक्टरी में अचानक आग लग गई थी। कुछ घंटों बाद आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया था। अचानक फैक्ट्री के अंदर कैमिकल से भरे ड्रम में धमाका हो गया। जिसके कारण पूरी बिल्डिंग जमीदोज हो गई थी। इस बिल्डिंग में बचाव में जुटे दमकल विभाग के मुलाजिम सहित कुछ अन्य लोग नीचे दब गए थे।
एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर आप्रेशन शुरू किया। कड़ी मशकत के बाद 13 शवों को निकाला गया। दमकल विभाग के तीन मुलाजिमों का कुछ पता नहीं चला। जिनके शव बरामद नहीं हो सके। इस मामले में थाना डिवीजन नंबर दो पुलिस ने लीडिंग फायर अफसर सुरिंदर कुमार की शिकायत पर फैक्ट्री मालिक इंद्रजीत सिंह गोला के खिलाफ विभन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। लुधियाना वासी आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सभ्रवाल ने डिवीजनल कमिश्नर पटियाला, दमकल विभाग लुधियाना, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को आरटीआई के तहत जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा। तीनों विभागों की तरफ से जवाब दिया गया है कि उनके पास जांच संबंधी कोई रिकार्ड नहीं है।
इन लोगों की हुई थी मौत
इस हादसे में तीन सब फायर अफसर राजिंदर शर्मा, शिमोन गिल, राजकुमार, लीडिंग फायर मैन पूर्ण सिंह, मनोहर लाल, फायर मैन राजन कुमार, विशाल कुमार, सुखदेव सिंह, मनप्रीत सिंह के अलावा भावाधस के राष्ट्रीय संचालक व चीफ सेनेटरी अफसर लक्ष्मण द्रविड़, पंजाब टैक्सी एसोसिएशन के प्रधान इंद्रपाल सिंह, फैक्ट्री का गेटकीपर धन बहादुर, कंप्यूटर डिजाइनर संदीप कुमार, बलदेव सिंह, अमरजोत सिंह व कन्हैया समेत 16 लोगों की मौत हो गई थी। लीडिंग फायर मैन मनोहर लाल, फायर मैन सुखदेव सिंह तथा मनप्रीत सिंह के शव भी नहीं मिल सके थे।15 साल पुरानी प्लास्टिक फैक्ट्री दो से पांच मंजिला बन गई और निगम के पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
शुरूआती जांच में यह तथ्य आए थे सामने
हादसे के तुरंत बाद इस हादसे के पीछे नगर निगम के अफसरों की लापरवाही सामने आई थी। शुरूआती जांच में पत्ता चला था कि इंद्रजीत सिंह गोला ने साल 2002-03 के आसपास इमारत कोखरीदा था। तब ये बिल्डिंग सिर्फ दो मंजिला ही थी। इसके बाद इमारत को पांच मंजिला कर दिया गया। निगम से काेई मंजूरी ली गई या नहीं। इसका कोई रिकॉर्ड निगम के पास नहीं मिला था। बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से को चार इंची पर खड़ा किया गया था। बिल्डिंग को तीन हिस्सों में तैयार किया गया है। नीचे के हिस्से में गारे की चिनाई की गई थी। इसके आगे जांच बढ़ नहीं सकी।
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