अब जल्द बाजार में मिलेगी जामुनी रंग की फ्रेंच बीन! पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने की नई खोज
लुधियाना के पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 12 साल की रिसर्च के बाद जामुनी रंग की फ्रेंच बीन पंजाब रंगत विकसित की है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी। इस किस्म में एंथोसायनिन तत्व है जो कई बीमारियों से बचाता है। इसे पालीहाउस और नेटहाउस में साल में दो बार लगाया जा सकता है।

आशा मेहता, लुधियाना। बाजार में अब तक केवल हरी फ्रेंच बीन ही मिलती थी, लेकिन जल्द ही लोग जामुनी रंग की फ्रेंच बीन भी खा सकेंगे। लुधियाना में स्थित देश की प्रतिष्ठित पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) के सब्जी विज्ञानियों ने 12 साल की रिसर्च के बाद पहली बार जामुनी रंग की फ्रेंच बीन तैयार की है, जिसका नाम ‘पंजाब रंगत’ रखा है।
यह न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर है, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और ग्राहकों को आकर्षित करने में भी मदद करेगी। पीएयू के एडिशनल डायरेक्टर (एक्सटेंशन एजुकेशन) डॉ. तरसेम सिंह ढिल्लों और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रूमा देवी ने इस किस्म को विकसित किया है।
पंजाब भर में कई जगह ट्रायल सफल रहने के बाद किसानों के लिए इसकी सिफारिश कर दी गई है। डॉ. ढिल्लों कहते हैं कि जामुनी रंग की फ्रेंच बीन न सिर्फ पोषण से भरपूर है, बल्कि इसका रंग इसे ग्राहकों के बीच और आकर्षक बनाएगा। किसानों को इससे अच्छी आमदनी की उम्मीद है।
कई बीमारियों से बचाने वाला एंथोसायनिन तत्व मौजूद
डॉ. तरसेम सिंह कहते हैं कि उन्होंने किसानों व लोगों को नया विकल्प देने के लिए जामुनी रंग की फ्रेंच बीन पर 12 वर्ष पहले काम करना शुरू किया था। अब शोध पूरा हो चुका है। जामुनी रंग की वजह से इस किस्म में एंथोसायनिन तत्व भी है। यह एंटी आक्सीडेंट होता है, जो शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाता है।
प्रति सौ ग्राम फली में 88 मिलीग्राम एंथोसायनिन है, जिसमें 2.03 प्रतिशत प्रोटीन है। यूनिवर्सिटी ने पहली बार फ्रेंच बीन की बेल वाली किस्म तैयार की है, जिसकी ऊंचाई आठ से दस फीट रहती है। मौजूदा समय में ज्यादातर जगहों पर जमीन पर फैलने वाली किस्में लग रही हैं।
पालीहाउस व नेटहाउस में साल में दो बार लगाएं फसल
डॉ. ढिल्लों कहते हैं कि सामान्य तौर पर फ्रेंच बीन खुले में लगाई जाती है, लेकिन पंजाब रंगत को पालीहाउस व नेटहाउस में ही लगाया जा सकता है, जिससे बीमारियां कम लगती हैं। वर्ष में दो बार इसकी बिजाई की जा सकती है। पहले सितंबर और फिर जनवरी के आखिरी सप्ताह में।
डॉ. तरसेम सिंह ढिल्लों।
फसल करीब 65 दिन में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और पांच से छह बार तुड़ाई की जा सकती है। फली की लंबाई करीब 21 सेंटीमीटर होती है। सितंबर की बिजाई में प्रति एकड़ करीब 127 क्विंटल व जनवरी की बिजाई में 132 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिल जाती है। इसके बीज पीएयू में उपलब्ध हैं।
कई राज्यों में सप्लाई हो रही जामुनी फ्रेंच बीन
पीएयू में तैयार फ्रेंच बीन देश के कई राज्यों में सप्लाई हो रही है। पंजाब में भी इसकी मांग है। इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी सप्लाई होती है।
हरे रंग की ‘पंजाब आनंद’ किस्म भी तैयार
पीएयू ने जामुनी रंग के साथ हरे रंग की फ्रेंच बीन की एक अन्य किस्म भी तैयार की है, जिसका नाम ‘पंजाब आनंद’ रखा है। इसकी सिफारिश भी नेटहाउस व पालीहाउस के लिए की गई है। इसकी फली की लंबाई 22 सेंटीमीटर है। यह भी बेल वाली किस्म है।
पौषण से भरपूर
- 100 ग्राम में 88 मिलीग्राम एंथोसायनिन एंटीआक्सीडेंट कई बीमारियों से बचाता है।
- 2.03% प्रोटीन और बाकी सभी पोषक तत्व हरी बीन जैसे ही।
- इम्यूनिटी बढ़ाने और कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मददगार।
किसानों के लिए लाभ
- बेल की ऊंचाई 8-10 फीट, तुड़ाई आसान
- कम जगह में बीन की उपज ज्यादा
- पालीहाउस में रोग कम लगते हैं
- साल में दो बार फसल लेने की सुविधा
- रंग और पोषण की वजह से बाजार में अधिक दाम
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