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    Solid Waste Management: पंजाब की महिला सरपंच की मेहनत लाई रंग, दूषित पानी को साफ करके बनाया सिंचाई लायक

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 02:31 PM (IST)

    Solid Waste Management शुरुआती पड़ाव में गांव के मोहतबरों ने सीचेवाल तकनीक को अपनाए जाने से पहले पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल की तरफ से विकसित की तकनीक के साथ बनाए गए छप्पड़ों को देखने का विचार बनाया।

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    गांव में सालिड वेस्ट प्लांट लगाकर गांव में कचरे की समस्या को किया हमेशा के लिए दूर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटियाला। Solid Waste Management: प्रदूषण और गिर रहे भू-जल स्तर से जहां विश्व चिंतित है, ऐसे में पटियाला जिला गांव उगाणी की महिला सरपंच ने दूषित पानी और सालिड वेस्ट से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने की दिशा में प्रयास किया है। महिला सरपंच ने जहां गांव के छप्पड़ का सीचेवाल माडल तकनीक के अंतर्गत नवीनीकरण करवाया।

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    छप्पड़ के नए रूप से जहां गांव का आसपास साफ-सुथरा और बदबू मुक्त हुआ है, वहीं यह लोगों की अच्छी सेहत में भी योगदान डाल रहा है। इससे जहां छप्पड़ के पानी सोखने की समर्था बढ़ी है और वहीं इससे साफ हुआ पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही धरती निचले पानी का स्तर भी बरकरार बना हुआ है।

    इसके अलावा मछली पालन तालाब को भी यहीं से साफ पानी मिलता है और नवीनीकरन के बाद इस छप्पड़ ने गांव की खूबसूरती को भी चार चांद लगा रहा है। सरपंच गुरप्रीत कौर ने पुराने छप्पड़ की तस्वीर को याद करते बताया कि एक एकड़ क्षेत्रफल में फैले छप्पड़ में से निकलते गंद और बदबू लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और बीमारियों का कारण बन चुकी थी और जहां यह आस आसपास के इलाके को भी दूषित कर रहा था, वहीं पास के मछली पालन तालाब में इसकी गंदगी जाने से मछलियां भी मर रही थीं। जिस कारण उन्होंने छप्पड़ के नवीनी नवीनीकरण के बारे में सोचा।

    उन्होंने बताया कि शुरुआती पड़ाव में गांव के मोहतबरों ने सीचेवाल तकनीक को अपनाए जाने से पहले पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल की तरफ से विकसित की तकनीक के साथ बनाए गए छप्पड़ों को देखने का विचार बनाया। ग्राम पंचायत और गांव के कुछ मोहतबर जालंधर क जिलो के गांव सीचेवाल गए, जहां संत बलबीर सिंह ने इस तकनीक से उनको अवगत करवाया। इस प्रोजेक्ट के लिए नाभा पावर लिमटिड कॉर्पोरेट ने छप्पड़ के नवीनीकरन के लिए 20 लाख रुपये की सहायता की।

    एक स्क्रीनिंग चैंबर और तीन कुओं की मदद से होता है पानी साफ

    इस तकनीक के तहत छप्पड़ के नजदीक एक स्क्रीनिंग चैंबर और तीन कुंए बनाए गए हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत घरों का सीवर और गंदा पानी स्क्रीनिंग चेंबर में इकट्ठा होता है, जहां पानी में तैरते पदार्थों और ठोस गंदगी को अलग करके आगे 20 फुट गहरे और 12 फुट चौड़े पहले कुएं में भेजा जाता है, जहां पानी घूमता है और ठोस पदार्थ तल पर बैठ जाते हैं। इससे आगे पानी को 20 फुट गहरे और 10 फुट चौड़े दूसरे कुएं में डाला जाता है, जहां और ज्यादा बारीक गंदगियों को साफ किया जाता है। इसके बाद 20 फुट गहरे और 8फुट चौड़े तीसरे कुएं में पानी जाता है। जहां से साफ पानी तालाब में चला जाता है और इस इकट्ठे हुए साफ पानी को फसलों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

    घर-घर से कूड़ा इक्ट्ठा करके किया सही प्रबंधन

    गांव में ठोस कूड़ा प्रबंधन की तरफ आगे बढ़ते हुए ग्राम पंचायत ने राउंड गिलास संस्था के सहयोग के साथ जनवरी 2021 में ठोस कूड़ा प्रबंधन का प्लांट भी शुरू किया है। जहां मगनरेगा की सहायता के साथ कूड़े का प्रबंधन वैज्ञानिक ढंग के साथ किया जाने लगा है। इसके तहत गांव निवासियों को कूड़े को घरों में ही गीले और सूखे रूप में अलग-अलग करने संबंधी अवगत करवाया गया। इससे आगे घरों में नीले और हरे कूड़ा दान मुहैया करवाए गए, इसके अलावा कूड़ा इक्ट्ठा करने के लिए कर्मचारी भी नियुक्त किए गए। जोकि हर घर से कूड़ा इक्ट्ठा कर रहे हैं। इसके बाद गीले कूड़े की जहां खाद बनाकर इस्तेमाल किया जाता है, वहीं सूखे कूड़े को रिसाइकल किया जाता है।