Punjab Weather Update: पंजाब में टूटा सात साल का रिकॉर्ड, 46 डिग्री पार पहुंचा तापमान; लू ने भी किया बेहाल
Punjab Weather Today पंजाब में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। सोमवार को लुधियाना का अधिकतम तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जो सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस अधिक था। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए लू चलने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Punjab Aaj ka Mausam: पंजाब में भीषण गर्मी का दौर सोमवार को भी जारी रहा। सोमवार को राज्य के लगभग सभी जिलों में लू चली। तपिश की वजह से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया। सोमवार को लुधियाना में अधिकतम तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जोकि सामान्य से सात डिग्री सेल्सियस अधिक था।
मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 2017 के बाद पहली बार दिन का तापमान इतना ऊपर गया है। उधर .बठिंडा भी लू की चपेट में रहा और यहां अधिकतम तापमान 45.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से छह डिग्री सेल्सियस अधिक था।
इन शहरों का कितना रहा तापमान
इसी तरह अमृतसर में तापमान 44.9, गुरदासपुर में 44.5, फिरोजपुर में 44, चंडीगढ़ में 43.8, फाजिल्का में 43.2, पटियाला में 42.9, जालंधर में 42.6, मोगा में 42.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम केंद्र चंडीगढ़ अगले दो दिन भी लू चलने का आरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार इस दौरान रातें भी सामान्य से अधिक गर्म रहेंगी।
सोमवार को राज्य में जालंधर सहित छह शहरों में छह घंटे तक बिजली कट लगे। बिजली कट की सबसे ज्यादा 1,668 शिकायतें जालंधर से दर्ज की गईं।
पीएसपीसीएल के अनुसार मुक्तसर में दो फीडर डाउन होने के चलते सबसे ज्यादा छह घंटे तक बिजली सप्लाई प्रभावित रही। इसी तरह संगरूर, कादियां, गोराया व बुढलाडा में करीब 13 फीडर डाउन के होने के चलते चार से छह घंटे तक बिजली सप्लाई प्रभावित हुई।
लू बनी जानलेवा
ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम चक्र बिगड़ा है। देश ही नहीं, पूरी दुनिया में इसका असर स्पष्ट दिखने लगा है। गर्मियों के दौरान भारत में चलने वाली गर्म हवाएं या लू की लपटों की न सिर्फ तीव्रता बढ़ी है, बल्कि लू वाले दिनों की संख्या भी बढ़ी है तथा यह और भी जानलेवा हुई है।
पहाड़ी क्षेत्र को छोड़कर कमोवेश देश का पूरा हिस्सा लू की चपेट में रहता है। जाहिर तौर पर इससे बीमार होने होने वाले या असमय मरने वालों की संख्या ज्यादा होगी, लेकिन इन आंकड़ों को जानने का कोई आधिकारिक मंच नहीं है।
यह विडंबना ही है कि जन-स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर मसले को लेकर अलग-अलग संस्थाएं अलग-अलग आंकड़े पेश करती है। हीटस्ट्रोक या गर्मी से संबंधित मौतों की निगरानी के स्रोतों में से कोई भी अकेले पूरी तरह से स्पष्ट तस्वीर पेश नहीं करता है।
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