पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स एक्ट नोटिस से लुधियाना के कारोबारियों मे रोष, बोले- टैक्स की एवज में परेशान किया जा रहा
पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स एक्ट नोटिस से लुधियाना के कारोबारियों मे रोष है। इसके लिए बकायदा कारोबारियों को खुद विभाग में आकर इसके जवाब देने को कहा गया है। ऐसे में इन नोटिसों से पंजाब भर के कारोबारियों में हड़कंप मचा है।

लुधियाना [मुनीश शर्मा]। पंजाब सरकार की ओर से वर्ष 2018 में लगाए गए पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स एक्ट के तहत हर उस कारोबारी जिनके यहां साल भर में ढाई से अधिक इंकम के कर्मचारी है, उनको दो सौ रुपये प्रति महीना प्रति कर्मचारी के हिसाब से जमा करवाए जाने जरूर थे। इसको लेकर नोटीफिकेशन भी जारी किया गया। लेकिन तीन साल बीत जाने के बावजूद भी कारोबारियों ने इसे गंभीरता से न लिया, तो अब इसकी रिकवरी की कमान स्टेट जीएसटी विभाग को सौंप दी गई है।
विभाग की ओर से पंजाब के हजारों लोगों को नोटिस जारी कर इसका जवाब देने को कहा गया है। इसके लिए बकायदा कारोबारियों को खुद विभाग में आकर इसके जवाब देने को कहा गया है। ऐसे में इन नोटिसों से पंजाब भर के कारोबारियों में हड़कंप मचा है। ज्ञात हो कि इस एक्ट के मुताबिक व्यापारियों को ढाई लाख से अधिक खर्च अगर वे कर्मचारियों की सैलरी का दिखाते हैं, तो प्रति कर्मचारी के हिसाब से दो सौ रुपये प्रति महीना जमा करवाना था। विभाग की ओर से जारी नोटिस में तीन साल के बकाए के साथ-साथ इसपर ब्याज और पैनलटी का नोटिस भेजा जा रहा है। जब 2018 में इस एक्ट को लागू किया गया तो इसके तत्काल पश्चात 2019 में चुनाव के चलते सरकार ने इसपर तवज्जो नहीं दी और कारोबारियों ने इसको रद करने का प्रस्ताव भी दिया। लेकिन अब नोटिसों से कारोबारियों में सरकार के खिलाफ रोष फैल गया है।
सरलीकरण होने से ही यह हो पाएगा कारगर
मंतोष कुमार एवं एसोसिएट के सीए मंतोष कुमार गुुप्ता के मुताबिक इस एक्ट में कई तरह की परेशानियां हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या पर्सनल हियरिंग है। इसके लिए ई मेल के माध्यम से जवाब देने की अनुमति होनी चाहिए। इसमें ब्याज और पैनलटी नहीं लेनी चाहिए। क्योंकि अभी इस एक्ट के प्रति पूर्ण सजगता नहीं है। इसके पोर्टल में भी कई तरह की परेशानियां है, इसके सरलीकरण पर भी काम होना चाहिए। कोविड के चलते अभी इसको जमा करवाने के लिए सरकार को समय देना चाहिए।
व्यापारी इसका लंबे समय से कर रहे विरोध
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के सचिव मोहिंदर अग्रवाल के मुताबिक इस टैक्स का व्यापारी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। पहले ही इतने टैक्स के बोझ से व्यापारी परेशान है। इस तरह के टैक्स लगाकर सरकार व्यापारियों को ओर कागजी कार्रवाई की ओर अग्रसर कर रही है। इसके लिए कई बार वित्तमंत्री सहित कई प्लेटफार्म पर विरोध जताया जा चुका है। आने वाले दिनों में अगर इसी तरह नोटिस जारी रहे, तो हमें संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।
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