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    Ayushman Yojana: पंजाब में प्राइवेट अस्पतालों ने बंद की आयुष्मान योजना, 600 करोड़ रुपए का नहीं हुआ भुगतान

    Updated: Thu, 19 Sep 2024 11:08 AM (IST)

    Ayushman Yojana पंजाब में प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान योजना में सेवा बंद कर दी है। जानकारी के अनुसार अस्पतालों के करीब 600 करोड़ रुपए पेंडिंग पड़े हैं। अस्पतालों का कहना है कि जब तक रकम का भुगतान नहीं किया जाता तब तक किसी भी मरीज का आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज नहीं किया जाएगा। अस्पतालों के इस कदम से मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।

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    पंजाब में प्राइवेट अस्पतालों ने बंद की आयुष्मान योजना

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। Ayushman Yojana in Punjab: निजी अस्पतालों ने लगभग 600 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं होने से आयुष्मान योजना में सेवा बंद कर दी है। निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम का प्रतिनिधित्व करने वाली प्राइवेट अस्पताल एंड नर्सिंग एसोसिएशन होम एसोसिएशन (पीएचएएनए) पंजाब ने कहा कि जब तक सरकार बकाया राशि का भुगतान नहीं करती, तब तक आयुष्मान भारत सरबत बीमा योजना में किसी भी व्यक्ति का इलाज नहीं करेंगे।

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    42 लाख लोगों के बने हैं कार्ड

    पंजाब में इस योजना में 42 लाख लोगों के कार्ड बने हैं। एसोसिएशन के स्टेट प्रेजीडेंट डॉ. विकास छाबड़ा, सीनियर वाइस प्रेजीडेंट डॉ. संदीप गर्ग, स्टेट सेक्रेटरी दिव्यांशु गुप्ता और फाइनांस सेक्रेटरी डॉ. आशीष कुमार ओहरी ने बुधवार को एक निजी होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस योजना में पंजाब में 600 से अधिक निजी अस्पताल व नर्सिंग होम पंजीकृत हैं।

    इनमें से लगभग 300 अस्पताल व नर्सिंग होम सक्रिय हैं। लुधियाना में लगभग 70 अस्पताल पंजीकृत हैं। योजना में पंजीकृत अस्पतालों द्वारा इलाज बंद किए जाने से सुपर-विशेषज्ञता सेवाओं किडनी स्टोन सर्जरी, कार्डियक स्टेंटिंग, नवजात विज्ञान आदि पर अधिक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि सरकारी अस्पतालों में सुपर-विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं।

    यह भी पढ़ें- Ayushman Bharat Yojana: इन बीमारियों का फ्री में होता है इलाज, सीनियर सिटिजन भी बनवा सकते हैं आयुष्‍मान कार्ड

    डॉ. विकास छाबड़ा, डॉ. दिव्यांशु गर्ग ने कहा कि बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर कई महीने से राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) पंजाब के सीईओ व स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठकें की जा रही हैं परंतु कोई हल नहीं निकला। एसएचए ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उल्लंघन कर भुगतान में देरी की है जबकि इलाज किए जाने के पंद्रह दिन के भीतर सरकार को भुगतान करना होता है।

    योजना के तहत हर महीने 80 से 90 करोड़ का काम होता है

    प्रदेश में इस योजना में हर महीने औसतन 80 से 90 करोड़ का काम होता है। वर्ष भर में यह लगभग एक हजार करोड़ हो जाता है। पिछले छह महीने से बकाया राशि लंबित है जिससे कई अस्पताल वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां दूसरे राज्यों में योजना को ओपन रखा गया है, वहीं पंजाब में सरकार ने योजना में 180 के करीब पैकेज अपने पास रखे हैं। यह योजना की एक और महत्वपूर्ण खामी है।

    इसके तहत कुछ प्रमुख उपचार पैकेज जैसे कि पित्ताशय की पथरी की सर्जरी, हर्निया सर्जरी, आघात सर्जरी और कुल घुटने की रिप्लेसमेंट, विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित हैं जबकि पड़ोसी राज्यों में निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत में ये सेवाएं प्रदान करने की अनुमति है।

    बताया गया कि जगराओं के सुखवीन अस्पताल का 80 लाख, पटियाला के वरदान अस्पताल का दो करोड़ 24 लाख, लुधियाना के अरोग्य अस्पताल का 50 लाख व लुधियाना के गर्ग चाइल्ड एड मटेरनिटी अस्पताल का 80 लाख रुपये बकाया है।

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