Punjab News: कोविड के दौरान इंडस्ट्री को मिली थी बिजली बिल में छूट, अब बकाया जोड़कर मांग रहा PSPCL
पंजाब में कोविड काल में उद्योगों को बिजली बिल में मिली छूट अब पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड PSPCL द्वारा बकाया के रूप में मांगी जा रही है। इससे उद्योगों में असंतोष है, जो पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। PSPCL का कहना है कि छूट अस्थायी थी। समाधान के लिए बातचीत जारी है।

कारोबारी बोले पुराने बिजली बकाया जमा करवाना इंडस्ट्री के लिए बनी परेशानी। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, लुधियाना। कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरे देश में लाकडाउन के कारण उद्योग ठप पड़ गए थे, तब पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इंडस्ट्री को बड़ी राहत देते हुए बिजली के फिक्स्ड चार्जेज माफ करने की घोषणा की थी।
इससे उद्योगों को उस कठिन समय में आर्थिक सहारा मिला था।
लेकिन अब तीन साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से कई उद्योगों को बिजली बिलों में वही पुराने फिक्स्ड चार्जेज बकाया जोड़कर भेजे जाने से रोष है।
उद्योगपतियों का कहना है कि जब उस दौरान सभी इकाइयां बंद थीं, उत्पादन शून्य था और आय का कोई स्रोत नहीं था तब सरकार ने स्पष्ट रूप से फिक्स्ड चार्जेज माफ करने का आश्वासन दिया था।
लेकिन विभाग बकाया की वसूली शुरू कर रहा है तो यह उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ डालने जैसा है। फिक्स्ड चार्जेज प्रति किलोवाट के हिसाब से लगाए जाते हैं, जो बड़ी इकाइयों के लिए भारी राशि बन जाते हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एवं कमर्शियल आर्गेनाइजेशन के प्रधान गुरमीत सिंह कुलार ने कहा कि कोविड काल में हालात बेहद खराब थे। जब मशीनें नहीं चलीं, यूनिटें बंद रहीं और कारोबार पूरी तरह ठप था तब विभाग ने फिक्स्ड चार्जेज माफ किए थे। अब उन्हीं चार्जेज को बकाया बनाकर भेजना बिल्कुल अनुचित है। यह उद्योग जगत के साथ अन्याय है।
उन्होंने कहा उद्योग संगठनों ने इस मुद्दे को उद्योग मंत्री के समक्ष भी उठाया है और स्पष्ट मांग की है कि कोविड अवधि के फिक्स्ड चार्जेज को पूरी तरह माफ किया जाए। कारोबारियों का कहना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में पहले से ही महंगाई, उच्च इनपुट लागत और बाजार की सुस्ती से इंडस्ट्री दबाव में है।
ऐसे में पुराने बकाया के रूप में अचानक बड़ी रकम जमा करवाना कई यूनिटों के लिए भारी संकट खड़ा कर सकता है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि महामारी काल के फैसलों का सम्मान करते हुए फिक्स्ड चार्जेज को स्थायी रूप से माफ घोषित किया जाए, ताकि इंडस्ट्री राहत महसूस कर सके और राज्य की औद्योगिक प्रगति का पहिया बाधित न हो।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।