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रविवार को जली सीजन की सबसे ज्यादा पराली, पंजाब का AQI सामान्य से खराब, लुधियाना सबसे ज्यादा प्रदूषित

एक्यूआइ 255 के साथ लुधियाना की हवा राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही वहीं एक्यूआइ 251 के साथ मंडी गोबिंदगढ़ दूसरे एक्यूआइ 250 के साथ अमृतसर तीसरे एक्यूआइ 245 के साथ जालंधर चौथे एक्यूआइ 231 के साथ पटियाला पांचवें स्थान पर है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 06:01 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 09:57 AM (IST)
पंजाब में पिछले तीन दिन में ही पराली जलाने के 5621 मामले सामने आ चुके हैं। सांकेतिक फोटो।

गौरव सूद, पटियाला। शुक्रवार से पराली जलाने के मामलों में रिकार्ड बढ़ोतरी के साथ रविवार को पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) सामान्य से खराब कैटेगरी में शामिल हो गया है। इस समय सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर लुधियाना है। 15 सितंबर से 28 अक्टूबर (वीरवार) तक राज्य में पराली जलाने के कुल 7503 मामले थे, जोकि 31 अक्टूबर (रविवार) तक बढ़कर 13,124 हो चुके हैं। केवल पिछले तीन दिन में ही पराली जलाने के 5621 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अगर इस सीजन के दौरान सबसे ज्यादा पराली जलाने की बात करें तो वह भी रविवार को ही जलाई गई। रविवार को राज्य में पराली जलाने के कुल 2895 मामले सामने आए। शुक्रवार को 1353 और शनिवार को 1373 मामले पराली जलाने के सामने आए थे।

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पराली जलाने के बढ़े मामलों का प्रभाव राज्य की हवा की गुणवत्ता पर भी देखने को मिला। रविवार को राज्य का एक्यूआइ खराब कैटेगरी में शामिल हो गया। एक्यूआइ 255 के साथ लुधियाना की हवा राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, वहीं एक्यूआइ 251 के साथ मंडी गोबिंदगढ़ दूसरे, एक्यूआइ 250 के साथ अमृतसर तीसरे, एक्यूआइ 245 के साथ जालंधर चौथे, एक्यूआइ 231 के साथ पटियाला पांचवें और एक्यूआइ 129 के साथ बठिंडा की हवा सबसे कम प्रदूषित रही। विशेषज्ञों की मानें तो शुक्रवार से राज्य में थमी फसल कटाई की रफ्तार एक दम से बढ़ी है, जिसके कारण पराली जलाने के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

तरनतारन में सबसे ज्यादा और पठानकोट में सबसे कम जली पराली

पराली जलाने के आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 2243 मामले तरनतारन में सामने आए हैं। 1208 मामलों के साथ अमृतसर दूसरे, 1065 के साथ फिरोजपुर तीसरे और 1027 मामलों के साथ पटियाला चौथे स्थान पर है। वहीं, अब तक पराली जलाने के सबसे कम मात्र दो मामले पठानकोट में सामने आए हैं।

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