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    Punjab Election 2022: कैप्टन अमरिंदर के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनीं पटियाला शहरी सीट, ‘प्यादे’ देना चाह रहे ‘राजा’ को मात

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Sat, 12 Feb 2022 10:42 AM (IST)

    Punjab Election 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए पटियाला शहरी सीट साख का सवाल बन गई है। इस बार के चुनाव में अलग बिसात बिछ गई है। कैप्टन के सामने तीनों प्रत्याशी पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

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    प्रचार के लिए निकलते कैप्टन अमरिंदर सिंह। (वीडियो ग्रैब)

    प्रेम वर्मा,  पटियाला। 17 प्रत्याशियों के बीच सबसे हैवीवेट उम्मीदवार कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए पटियाला शहरी सीट साख का सवाल बन गई है। इस बार के चुनाव में अलग बिसात बिछ गई है। कैप्टन के सामने तीनों प्रत्याशी पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। 2 बार मुख्यमंत्री रहे कैप्टन की पारंपरिक सीट पंजाब की राजनीति में इस बार शुरू से ही चर्चा के केंद्र में रही है। कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी बनाने वाले कैप्टन के कारण हलके में सियासी सरगर्मी बढ़ी रही।

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    वहीं, शिरोमणि अकाली दल का पीढ़ी दर पीढ़ी दामन थामने वाले कोहली परिवार के पुत्र अजीतपाल सिंह कोहली के शिअद छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने से भी यहां काफी हलचल रही। मेयर की कुर्सी की लड़ाई ने भी सियासत को हवा दी। इन सारी घटनाओं के बाद पार्टियों के उम्मीदवारों की स्थिति में तो बदलाव आया ही, आम लोग भी इससे खासे प्रभावित दिखते हैं। लोग कहते हैं कि पार्टी व उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन हम तो उसी को चुनेंगे जिसके लिए दिमाग के साथ दिल भी कहेगा।

    40 साल का राजनीतिक तजुर्बा रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 1980 से कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू किया था, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर शिअद ज्वाइन कर ली थी। अब पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) नाम से अपनी पार्टी बनाने के बाद वह भाजपा के साथ गठबंधन कर मैदान में हैं। अपनी छवि व भरोसेमंद साथियों के साथ चुनाव लड़ रहे कैप्टन को भाजपा का साथ मिला है। लंबे समय से भाजपा के लिए काम कर रहे भूपेश अग्रवाल अपने नाम को उम्मीदवार के रूप में घोषित होने के इंतजार में बैठे थे, लेकिन भाजपा ने कैप्टन का नाम घोषित किया तो अग्रवाल मान गए। उधर, कैप्टन की जीत के लिए महल से लोगों तक पहुंच करते हुए उनकी बेटी जयइंदर कौर भी जुट गई हैं।

    पटियाला शहरी

    11 बार कांग्रेस, तीन बार शिअद को मिली जीत

    इस सीट पर सबसे ज्यादा 11 बार कांग्रेस जीती है। तीन बार शिअद और एक बार निर्दलीय को मौका मिला। कैप्टन चार बार (2002, 2007, 2012 व 2017) यहां से जीते। कैप्टन यहां से कभी नहीं हारे। 2014 के लोकसभा चुनाव में कैप्टन अमृतसर से मैदान में उतरे और भाजपा के अरुण जेटली को हराया। तब विधानसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी परनीत कौर जीतीं।

    कोहली परिवार ने बदला चुनावी समीकरण

    आप ने शिअद छोड़ने के बाद अजीतपाल कोहली को टिकट दे दिया। तीन बार विधायक रहे सरदारा सिंह कोहली के बाद उनके पुत्र सुरजीत कोहली शिअद से दो बार विधायक व एक बार मंत्री रहे। अजीतपाल बादल सरकार के समय मेयर रह चुके हैं। कोहली परिवार के मजबूत राजनीतिक आधार ने समीकरण बदल दिया है।

    जिनके खास थे, उनके खिलाफ उतरे विष्णु

    कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे विष्णु शर्मा कभी कैप्टन अमरिंदर के करीबी थे। कैप्टन सरकार में 2002 से 2007 तक मेयर रहे। 2012 में शिअद में गए, लेकिन फिर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। उम्मीदवार की घोषणा से पहले कांग्रेस को कोई चेहरा नहीं मिल रहा था, जिसे टिकट दिया जाए।

    जुनेजा को पुरानी यारी का मिला फायदा

    स्कूल टाइम से ही सुखबीर बादल व बिक्रम मजीठिया के साथ रैलियों का हिस्सा बने हरपाल जुनेजा वकालत छोड़ सियासत में आए। उनके पिता भगवानदास शिअद से परनीत कौर के खिलाफ चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए, पर शिअद का भरोसा जीत गए। पुरानी दोस्ती को महत्व देते हुए शिअद ने हरपाल को टिकट दिया तो नाराज कोहली परिवार आप में चला गया।