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Punjab Election 2022: पंजाब चुनाव के समीकरण बदलेगी राम रहीम की फरलाे, जानें क्या हाेगा असर

Punjab Election 2022 पंजाब की सियासत व चुनाव में धार्मिक डेरों का प्रभाव हमेशा से रहा है। पंजाब में छोटे-बड़े सैकड़ों धार्मिक डेरे हैं। इनके अनुयायियों की संख्या भी लाखों में है। डेरे खुलकर भी राजनीतिक पार्टियों का साथ देते रहे हैं।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 08 Feb 2022 09:41 AM (IST)Updated: Tue, 08 Feb 2022 10:23 AM (IST)
Punjab Election 2022: पंजाब की सियासत व चुनाव में धार्मिक डेरों का प्रभाव हमेशा से रहा है। (फाइल फाेटाे)

जागरण टीम, बठिंडा/ लुधियाना। Punjab Election 2022: चुनाव से पहले पंजाब खासकर मालवा की अधिकतर सीटों पर प्रभाव रखने वाले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की फरलाे के बाद डेरे एक बार फिर चर्चा में हैं। कारण साफ है कि मैदान में उतरी हुई पार्टियों को लग रहा है कि हरियाणा सरकार ने भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया है। अभी सार्वजनिक तौर पर किसी भी पार्टी या नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन आने वाले दिनों में इस पर विवाद बढ़ सकता है।

पंजाब की सियासत व चुनाव में धार्मिक डेरों का प्रभाव हमेशा से रहा है। पंजाब में छोटे-बड़े सैकड़ों धार्मिक डेरे हैं। इनके अनुयायियों की संख्या भी लाखों में है। समय-समय पर डेरे खुलकर भी राजनीतिक पार्टियों का साथ देते रहे हैं। उनके एक एलान पर सारा वोट बैंक उसी पार्टी के हक में चला जाता है। यहीं कारण है कि पार्टियां हर बार खुद को डेरों के ज्यादा नजदीक दिखाने और डेरों से जुड़े लोगों को प्रभावित करने का प्रयास करती हैं।

मालवा की 69 सीटाें पर हाेगा असर

डेरा सच्चा सौदा : डेरा सच्चा सौदा के मालवा में सबसे ज्यादा अनुयायी हैं। अधिकतर सीटों पर डेरा समर्थक प्रत्याशी का भाग्य तय करते रहे हैं। 2006 में डेरा सच्चा सौदा ने राजनीतिक में अपनी पैठ जमाना शुरू की थी। 2007 चुनाव में डेरा में पूरी सक्रियता के साथ काम किया। डेरा वोट लेने के लिए हर दल के मुखी बाबा की शरण में पहुंचने लगे थे। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरा सिरसा की दखल रही है। डेरा मुखी को सजा होने के बाद पंजाब में डेरा लगभग हाशिए पर आ गया था। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर डेरा सक्रिय हो गया था। पंजाब में सबसे ज्यादा 69 सीटें भी मालवा से ही आती हैं। कांग्रेस नेता हरमिंदर जस्सी डेरा प्रमुख के समधी हैं। दिसंबर में डेरा सलाबतपुरा में प्रेमियों ने एक आयोजन कर अपनी ताकत का अहसास करवाया था। इस समागम में भी पंजाब के कई नेता शिरकत करने पहुंचे थे। जोकि डेरा वोट पर अपनी नजर रखे हुए है।

पटियाला : राधा स्वामी सत्संग डेरा का पटियाला देहाती, नाभा, समाना, सनौर, घनौर व शुतराणा के ग्रामीण इलाकों में काफी प्रभाव है। इन इलाकों में निरंकारी समुदाय का भी प्रभाव है।

फिरोजपुर : फिरोजपुर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की शाखा है। गुरुहरसहाय के गोलूके मोड़ पर डेरा भजनगढ़ है, जिसे कंबोज बिरादरी का सबसे बड़ा डेरा माना जाता है।

मुक्तसर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की मलोट व श्री मुक्तसर साहिब में शाखा है। मुक्तसर, मलोट व गिद्दड़बाहा में डेरा सच्चा सौदा व डेरा राधा स्वामी की भी शाखा है।

बठिंडा: सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा का आश्रम है। शाह सतनाम जी रुहानी धाम नामक स्थापित इस डेरे की स्थापना 23 नवंबर 1999 में हुई थी।

लुधियाना : डेरा ढक्की साहिब का लुधियाना में काफी प्रभाव माना जाता है। यहां कई नेता आते रहते हैं।

संत समाज : संत समाज से जुड़े डेरे तो हर गांव में मिल जाएंगे, लेकिन इनके अनुयायी सीमित संख्या में हैं। इसलिए विभिन्न हलकों के प्रत्याशी वोट के चक्कर में इन डेरा प्रमुखों के पास जाते हैं।

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