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    Punjab Crime: डीआईजी-एसपी बनकर छापा मार नोएडा से तीन व्यापारियों का किया अपहरण, फिर मांगा 10 करोड़ की फिरौती

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 02:30 PM (IST)

    पंजाब के खन्ना साइबर थाने ने एक चौंकाने वाले साइबर ठगी मामले का खुलासा किया है। दो पुलिसकर्मियों ने फर्जी रेड टीम बनाकर नोएडा से तीन व्यापारियों का अपहरण किया और 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। मुख्य आरोपी गगनदीप सिंह लुधियाना का निवासी है और उसे एक विधायक का करीबी बताया जा रहा है।

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    पंजाब में साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब में साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। खन्ना साइबर थाने की कार्रवाई में पता चला है कि दो पुलिसकर्मियों ने फर्जी रेड टीम बनाकर नोएडा से तीन व्यापारियों का अपहरण किया और 10 करोड़ रुपये की मांग की। इस गिरोह में पुलिस कर्मी और कुछ निजी लोग शामिल थे।

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    मुख्य आरोपित गगनदीप सिंह उर्फ गगन उर्फ एप्पल लुधियाना का निवासी है। उसे एक विधायक का करीबी और आम आदमी पार्टी का पदाधिकारी बताया जा रहा है। एफआईआर के अनुसार हेड कांस्टेबल बलविंदर सिंह, एएसआई कुलदीप सिंह (जीआरपी), गगनदीप एप्पल, करणदीप सिंह, मनी और एक अन्य ने फर्जी एसपी, डीएसपी और डीआईजी बनकर उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-136 स्थित सेकेंड फ्लोर ए-35 के एक दफ्तर पर छापा मारा।

    यहां तीन व्यापारियों गुजरात के तरुण अग्रवाल, अहमदाबाद के हेरत शाह और तमिलनाडु के थुराई राज को हथियार के बल पर अगवा कर लुधियाना ले आए। व्यापारियों से पहले 10 करोड़ रुपये की मांग की गई, जिसे बाद में घटाकर पांच करोड़ और फिर 70 लाख रुपये कर दिया गया।

    आरोपितों ने पीड़ितों के खातों से 999 अमेरिकी डालर (लगभग 88,680 रुपये) और 3,650 यूएसडीटी (क्रिप्टोकरंसी) यानी करीब 3,23,974 रुपये तथा एक लाख रुपये गिफ्ट कार्ड के रूप में निकाल लिए। साथ ही उनके मोबाइल फोन और एप्पल घड़ी छीन ली। जब आरोपितों ने अगवा व्यापारियों को खन्ना थाने में लाकर झूठा मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की तब थानेदार नरिंदर सिंह ने रिकार्ड खंगाला तो पाया कि पीड़ितों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी।

    इस प्रकार पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने सभी 15 आरोपितों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। छापामारी 15 सितंबर को गई थी, लेकिन मामले के तार पुलिस और राजनीति से जुड़े होने के कारण इसे छिपाया जा रहा था। अब इसकी एफआईआर की कापी सामने आई है, लेकिन कोई पुलिस अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है।