टूर्नामेंट खेलने जा रहे दिव्यांग क्रिकेटर की ट्रेन में मौत, व्हील चेयर पर बैठ छक्के लगाने के लिए मशहूर थे विक्रम
दिव्यांग क्रिकेटर विक्रम जो व्हील चेयर पर छक्के लगाने के लिए मशहूर थे की ग्वालियर जाते समय ट्रेन में अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। साथियों के अनुसार मथुरा स्टेशन से पहले उन्हें सिर में दर्द हुआ और पसीने आने लगे। रेलवे को सूचित करने के बावजूद मेडिकल सुविधा मिलने में देरी हुई जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई। विक्रम के निधन से दिव्यांग क्रिकेटरों में निराशा है।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद व्हील चेयर पर छक्के लगाने के लिए मशहूर पंजाब के क्रिकेटर विक्रम की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। ट्रेन में जब उसकी मौत हुई तो वह टीम के साथ क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए ग्वालियर जा रहा था। साथी क्रिकेटरों का कहना था कि यदि समय पर उसे उपचार मिल जाता तो उसे बचाया जा सकता था।
उसके साथी राजा के अनुसार मथुरा स्टेशन से पहले उसे अचानक सिर में दर्द हुआ और वह पसीने से तरबतर हो गया। उन्होंने रेलवे को मेडिकल इमरजेंसी के लिए सुबह पौने पांच बजे सूचित किया तो बताया गया कि उपचार मथुरा स्टेशन पर मेडिकल सुविधा उपलब्ध होगी।
हद तो तब हुई जब ट्रेन को मथुरा स्टेशन से पहले लगभग पौने दो घंटे रोक दिया गया, जिसके कारण विक्रम ने मेडिकल सुविधा के अभाव में दम तोड़ दिया। मथुरा स्टेशन पर उसे जब उसे उतार उपचार देने का प्रयास किया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी। पूरी टीम मथुरा में ही उतर गई।
विक्रम मंडी अहमदगढ़ के पास पिहड़ी गांव का रहने वाला था। उसके जीजा कुलविंदर ने बताया कि वह ग्वालियर खेलने के लिए जा रहा था। उसके निधन की सूचना साथियों ने फोन पर दी, जिसके बाद वह मथुरा के लिए रवाना हुए हैं। मथुरा स्टेशन पर टीम के साथी विक्रम के परिवार का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वहां मार्चरी में रखे शव को औपचारिकता पूरी कर घर वापस लाया जा सके।
बीसीसीआई की अनदेखी से खिलाड़ी निराश
भले ही विक्रम की मौत समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने से हुई, लेकिन दिव्यांग खिलाड़ी इस बात से निराश है कि उन्हें सामान्य क्रिकेटरों की तरह तबज्जो नहीं मिलती। क्रिकेटरों का कहना है कि लंबे समय से भारतीय कप्तान सोमजीत सिंह दिव्यांग क्रिकेटरों को भी बीसीसीआई अपने अधीन लें, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
अगर ऐसा बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त किसी घरेलू क्रिकेटर के साथ हुआ होता, तो तुरंत चिकित्सा सहायता, सहायता, सम्मान को लेकर हलचल मच जाती। लेकिन विक्रम रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर पड़ा है और उसकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। सोमजीत का कहना है कि उनकी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन से भी कोई जवाब या मदद नहीं पहुंची।
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