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    पंजाब के लोगों का दिल परदेसी हो रहा! विदेश में बसना पसंद कर रहे युवा, जानें कौन से हैं पसंदीदा देश

    Updated: Sun, 14 Jan 2024 12:38 AM (IST)

    पंजाब के अधिकांश युवा विदेश जाकर एन आर आई (आप्रवासी) भारतीय बनना चाहता है। पहले प्रदेश के दोआबा के लोगों में यह क्रेज था लेकिन अब बार्डर के साथ बसे जिलों में भी विदेश में बसने का चलन बढ़ गया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agriculture University) के डिपार्टमेंट आफ इकोनामिक्स एंड सोशियालाजी के अध्ययन में यह नया खुलासा हुआ है।

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    विदेश में बसना पसंद कर रहे युवा, जानें कौन से हैं पसंदीदा देश

    आशा मेहता, लुधियाना। प्रदेश के अधिकांश युवा विदेश जाकर एनआरआई (आप्रवासी) भारतीय बनना चाहता है। पहले प्रदेश के दोआबा के लोगों में यह क्रेज था, लेकिन अब बार्डर के साथ बसे जिलों में भी विदेश में बसने का चलन बढ़ गया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के डिपार्टमेंट आफ इकोनामिक्स एंड सोशियालाजी के अध्ययन में यह नया खुलासा हुआ है। पीएयू के अध्ययन के मुताबिक पंजाब के पारंपरिक इमीग्रेशन क्षेत्र जालंधर, कपूरथला, नवांशहर के बाद अब बॉर्डर के साथ बसे जिलों में विदेशों में बसने का चलन शुरू हो गया है। 

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    इसमें अमृतसर, गुरदासपुर, शहीद भगत सिंह नगर और फिरोजपुर जिलों में प्रवासन की सीमा 30 प्रतिशत से अधिक है। लुधियाना, संगरूर, फतेहगढ़, मोगा, फरीदकोट, जालंधर में 10 से 13 प्रतिशत और पठानकोट, एसएसए नगर, बठिंडा, पटियाला, मुक्तसर व बठिंडा में 10 प्रतिशत से भी कम है। साधारण शब्दों में कहें तो अमृतसर के एक गांव में अगर 100 घर हैं, तो उसमें से 35 घरों में एक या एक से ज्यादा सदस्यों में जा चुके हैं।

    100 में से 13 घरों के लोग विदेश में बसे

    लुधियाना, मोगा या फरीदकोट के एक गांव में अगर 100 घर हैं, तो वहां से 10 से 13 घरों में ही परिवार का एक सदस्य विदेश गया। अध्ययन के तहत पंजाब के 22 जिलों के 44 गांवों के करीब 9,492 घरों से 640 आप्रवासियों और 660 गैर प्रवासी परिवारों का साक्षात्कार लिया गया। स्टडी वीजा पर विदेश जाने वालों में महिलाओं की संख्या 65 प्रतिशत और पुरुषों की संख्या 35 प्रतिशत थी।

    बठिंडा व पठानकोट में 100 में से चार से पांच लोग विदेश में

    बठिंडा व पठानकोट के गांवों में 100 में से चार से पांच घरों में परिवार का एक सदस्य विदेश में हैं। अध्ययन के अनुसार करीब तीन चौथाई आप्रवासी परिवारों ने प्रवासन के मूल कारणों में सूबे में रोजगार के मौकों की कमी, अल्प रोजगार, भ्रष्ट व्यवस्था, कम आय बताया है। 62 प्रतिशत ने सिस्टम में खराबी और व अन्य गैर आर्थिक कारणों को भी प्रवासन का कारण रहा। अध्ययन के मुताबिक प्रदेश के 13.34 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में से कम से एक सदस्य विदेशों में पलायन कर चुका है।

    19.38 प्रतिशत लोग जमीन, घर, सोना, कार व ट्रैक्टर बेचकर जा रहे

    विदेशों में बसने के लिए करीब 19.38 प्रतिशत ने अपनी जमीन, घर, सोना, कार, टैक्टर बेच दिए। इसकी वैल्यू पंजाब लेवल पर 5,639 करोड़ रुपये है। निचली जाति, कम आय, भूमिहीन और मजदूरों ने प्रवास के खर्च को पूरा करने के लिए घर और सोने के गहने बेच दिए। 56 प्रतिशत परिवारों ने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए पैसे उधार यानी लोन लिया। उधर ली गई औसत राशि 3.13 लाख रुपये प्रति परिवार थी। प्रति आप्रवासी परिवार की कुल उधारी में गैर-संस्थागत उधारी 38.8 प्रतिशत और संस्थागत धनराशि 61.2 प्रतिशत थी। राज्य स्तर पर आप्रवासी के लिए करीब 14,342 करोड़ रुपये का उधार लिया गया।

    अध्ययन में 1990 से 2022 तक के आंकड़ों को शामिल किया गया

    अध्ययन में साल 1990 से साल 2022 आप्रावसन के आंकड़ों को शामिल किया गया। यह अध्ययन विभाग की प्रोफेसर शालिनी शर्मा, प्रोफेसर मंजीत कौर और असिस्टेंट प्रोफेसर अमित गुलेरिया ने किया। अध्ययन में सामने आया है कि पंजाब छोड़कर जाने वालों में कनाडा अधिकतर की पसंद हैं।

    2016 के बाद 74 फीसद लोग बाहर गए

    इनमें से विदेशों में जाने वाले 74 फीसद लोग वर्ष 2016 के बाद बाहर गए हैं। इसके अलावा भी सामने आया है कि दोआबा के पुरुष, भूमिहीन, न्यूनतम शिक्षित और एससी कार्य वीजा पर संयुक्त अरब अमीरात में चले गए, जबकि माझा और मालवा के युवा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया स्टडी वीजा पर अधिक गए। विज्ञानियों ने अपने अध्ययन में कहा है कि पंजाब में तेजी से हो रहे पलायन को रोकने के लिए राज्य में कौशल विकास, उद्यमिता और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार सृजन, निवेश की जरूरत है।

    स्टडी वीजा की वजह से अब मालवा और माझा रीजन हॉटस्पॉट बन गए

    डा. शामिलनी कहती हैं कि पहले दोआबा क्षेत्र से वर्क परमिट पर विदेशों में पलायन अधिक हो रहा था, लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है। अब स्टडी वीजा आसानी से मिलने के चलते मालवा व माझा क्षेत्र में पड़ते जिलों से विदेशों में पलायन बढ़ा है। अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अपनी जमा पूंजी, जमीन जायदाद सब बेच रहे हैं।

    विदेश जाने वालों का पसंदीदा देश

    • कनाडा : 42
    • दुबई 16
    • ऑस्ट्रेलिया 10
    • इटली 6
    • यूरोपियन देश 3
    • इंग्लैंड -3

    प्रत्येक जिला में माइग्रेशन का प्रतिशत

    • अमृतसर में 35
    • गुरदासपुर में 33
    • फिरोजपुर में 30
    • एसबीएस नगर में 17
    • लुधियाना-10-13
    • संगरूर--10-13
    • फतेहगढ़-10-13
    • मोगा-10-13
    • फरीदकोट-10-13
    • जालंधर में 10 से 13
    • पठानकोट में 5
    • बठिंडा में 4
    • पटियाला में 9