Punjab Durga Puja: लुधियाना में दिखता है बंगाल का रंग, 'सिंदूर खेला' के साथ दी जाती है मां दुर्गा को विदाई
लुधियाना में बंगाली समुदाय के लोग अपनी परंपराओं के साथ दुर्गा पूजा करते हैं। जमालपुर में 9 दिन मिनी बंगाल का रूप दिखता है। परंपरागत बंगाल की साड़ियों में सजी महिलाएं और कुर्ता पैजामा में पुरुष इन पूजा पंडालों की रौनक बनते हैं।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब में लोग नवरात्र पर माता वैष्णो देवी की पूजा-अर्चणा करने के साथ कंजकों को पूजते हैं। लेकिन लुधियाना के कुछ स्थानों पर नवरात्र में बंगाल का रंग देखने को मिलता है। वर्षों पहले रोजगार की तलाश में बंगाल छोड़ लुधियाना आकर बसने वाले बंगाली समुदाय के लोग अपनी परंपराओं के अनुसार दुर्गा पूजा करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं।
भले वह जमालपुर स्थित बंगाली समाज की पूजा हो या फिर दुगरी रोड पर बांगिया समद का आयोजन हो। यहां नौ दिन मिनी बंगाल का रूप दिखता है। परंपरागत बंगाल की साड़ियों में सजी महिलाएं और कुर्ता पैजामा में पुरुष इन पूजा पंडालों की रौनक बनते हैं।
मां दुर्गा उत्सव के अंतिम दिन प्रतिमा विसर्जन से पहले बंगाल की परंपरा के अनुसार बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला करती हुईं।
इनका खासा रंग नौ दिवसीय शरदीय नवरात्रि के बाद बुधवार को दशमी के दिन देखने को मिला, जहां बंगाल की महिलाओं ने अपनी परंपराओं के साथ सिंदूर लगाकर मां को विदा किया और अगले वर्ष फिर आने का आह्ववान किया। इस दौरान मां की प्रतिमा पर सिंदूर अर्पित करे के साथ महिलाओं ने एक दूसरे के गालों पर लाल सिंदूर लगाया।
इस दौरान महिलाएं खासकर लाल बार्डर वाली साड़ियों में आकर्षण का केंद्र रही। खासबात यह है कि सिंदूर खेला के रूप में विख्यात इस आयोजन में महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पहुंची। साथ ही अपने पति की लंबी उम्र की कामना मां दुर्गा से की।
इस दौरान माता की प्रतिमा के सामने एक बड़े बर्तन में पानी रखा गया और महिलाएं उसमें मां की प्रतिमा का प्रतिबिंब देखती रही। उसके बाद मां की प्रतिमाएं अलग-अलग स्थानों पर स्थित दरिया में विसर्जन के लिए निकली।
जमालपुर कालोनी में बंगाली कल्चरल क्लब की ओर से आयोजित दुर्गा पूजा उत्सव में विधायक दलजीत भोला ग्रेवाल को सम्मानित करते आयोजक।
बंगाल से आकर लुधियाना में बसे सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि भले ही हम बंगाल छोड़कर यहां बसे हैं, लेकिन अपनी परंपराओं को जीवित रखना बड़ी बात है। कई वर्षों पहले वह दुर्गा पूजा पर बंगाल अपने घर जाते थे, लेकिन अब पंजाब में ही पूजा अर्चना शुरू होने से यहीं उत्सव मनाते हैं।
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