PAU में अखिल भारतीय कृषि मौसम विज्ञान वार्षिक बैठक का आयोजन, वैज्ञानिकों ने कहा- 'मौसम के लिए मजबूत चेतावनी प्रणाली जरूरी'
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में अखिल भारतीय कृषि मौसम विज्ञान वार्षिक बैठक शुरू हुई। वैज्ञानिकों ने मौसम के सटीक पूर्वानुमान और किसानों के लिए मजबूत चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि इससे किसानों को फसलों की सुरक्षा और बेहतर उपज में मदद मिलेगी, साथ ही कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा।

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय। फोटो-सोशल
जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में कृषि मौसम विज्ञान व जलवायु परिवर्तन विभाग की अखिल भारतीय संयुक्त अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक शुक्रवार को शुरू हुई।
इसमें बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित 15 से अधिक राज्यों के प्रमुख कृषि व मौसम विज्ञानी भाग ले रहे हैं। कृषि विज्ञानियों ने कहा कि कृषि के लिए मौसम सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए मजबूत चेतावनी प्रणाली की जरूरत है।
इस दौरान लुधियाना, बिहार के समस्तीपुर और कर्नाटक के बेंगलुरु केंद्र को कृषि-मौसम विज्ञान में उत्कृष्ट अनुसंधान एवं विकास कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार दिया गया।
मुख्य अतिथि व नई दिल्ली स्थित आइसीएआर के उप महानिदेशक डॉ. एके नाइक ने जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रही चुनौतियों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कृषि को सुरक्षित रखने के लिए सूक्ष्म मौसम पूर्वानुमान व किसान-केंद्रित चेतावनी प्रणाली और अधिक मजबूत बनाना बहुत जरूरी है।
किसानों को वर्षा, सूखा, तूफान, अत्यधिक गर्मी व सर्दी के बारे में पहले से सचेत करने वाली प्रणाली और कुशल बनाई जाए, जिससे कृषि को नुकसान कम हो।कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के निदेशक डॉ. वीके सिंह ने कहा कि मौसम बदल रहा है और मौजूदा पूर्वानुमान विधियां कई बार कमजोर साबित हो रही हैं।
मौसम विज्ञानी नवीनतम तकनीक अपनाकर अधिक सटीक व किसानों के अनुकूल व्यवस्था विकसित करें। पीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ. अजमेर सिंह ढट ने वर्ष 2015 में कपास पर सफेद मक्खी तथा 2023 व 2025 की विनाशकारी बाढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि मौसम का असंतुलन कृषि के लिए बड़ी चुनौती है।

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