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    बलिदान को याद करवाती शादमान चौक की मिट्टी पहुंची लुधियाना, श्री करतारपुर साहिब नतमस्तक होने पहुंचा था परिवार

    लाहौर के जिस शादमान चौक पर शहीद भगत सिंह सुखदेव व राजगुरु को फांसी दी गई थी वहां की मिट्टी पंजाब के लुधियाना पहुंची है। दरअसल डाक्टर रविंद्र वात्स्यायन को उनके दोस्त ने यह मिट्टी उपहार स्वरूप भेंट की है।

    By Jagran NewsEdited By: DeepikaUpdated: Thu, 24 Nov 2022 10:02 AM (IST)
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    पवित्र मिट्टी के साथ डा. रविंद्र वात्स्यायन व उनकी पत्नी डा. अंशुl (जागरण)

    जागरण संवाददाता, लुधियाना: शहर के जाने माने डाक्टर रविंद्र वात्स्यायन परिवार के साथ गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में नतमस्तक होने के लिए गए थे। वहां उन्हें मिलने लाहौर में रहने वाले उनके दोस्त इरफान बारी भी पहुंचे थे। इरफान ने डा. रविंद्र को लाहौर के उस पवित्र शादमान चौक की मिट्टी लाकर दी, जहां बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, करतार सिंह सराभा सहित कई स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दी गई थी।

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    68 वर्षीय डा. रविंद्र वात्स्यायन ने बताया कि आजादी से पहले वे होशियारपुर जिले के जेजों कस्बे में रहते थे। उनके पिता की दोस्ती पास के गांव बेनीवाल में रहने वाले तुफैल होशियारपुरी के साथ थी। वर्ष 1946 में तुफैल होशियारपुरी लाहौर चले गए और उनके पिता परिवार के साथ लुधियाना आ गए। वर्ष 1981 में तुफैल होशियारपुरी भारत आए थे। इस दौरान उनका बेटा इरफान बारी भी साथ था। उस समय दोनों के बीच दोस्ती हो गई थी। उस समय इरफान की उम्र करीब 21 वर्ष और उनकी उम्र करीब 27 वर्ष थी। उनकी दोस्ती बढ़ती गई।

    वर्ष 1993 में वे परिवार के साथ पाकिस्तान गए थे। करतार कारिडोर बनने के बाद से उनकी इच्छा थी कि वे गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करें। पहले कोरोना के कारण वे नहीं जा पाए थे। इस बार वे पत्नी डा. अंशु वात्स्यायन और बेटे डा. गौहर वात्स्यायन के साथ करतारपुर साहिब गए थे। उन्होंने इरफान को काल कर उनके आने की सूचना दी थी। इरफान ने पूछा कि वह पाकिस्तान से उनके लिए क्या लेकर आए।

    काफी विचार करने के बाद उन्होंने लाहौर के शादमान चौक से एक मुट्ठी मिट्टी लाने का अनुरोध किया था। लाहौर के शादमान चौक में पहले सेंट्रल जेल का फांसी का फंदा हुआ करता था। बलिदानी सुखदेव सिंह का जन्म लुधियाना के नौघरा मोहल्ले में हुआ था। वहां उनका पुश्तैनी घर भी है। इसलिए उनके दिल में उस मिट्टी के लिए गहरी भावनाएं थीं।

    चांदी के कलश में डाल रखी है पवित्र मिट्टी

    डा. रविंद्र का कहना है कि यह पवित्र मिट्टी उन्होंने चांदी के कलश में रखी है। अगर नवांशहर जिले में खटकड़ कलां स्थित बलिदानी भगत सिंह संग्रहालय या शहीद सुखदेव मेमोरियल सोसायटी लुधियाना की तरफ से कोई यह पवित्र मिट्टी लेने के लिए संपर्क करता है तो वे कुछ हिस्सा उन्हें देने को तैयार हैं।

    युवा पीढ़ी में जगाना चाहता हूं देशभक्ति की अलख

    डा. वात्स्यायन का कहना है कि उन्होंने लाहौर से यह मिट्टी इसलिए मंगवाई है कि युवा पीढ़ी में देशभक्ति की अलख जगा सकें। देश को आजाद करवाने वाले लोगों के बलिदान को याद रखें। देश के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों से दूर रहें। नशे से युवाओं की मौत हो रही है। हमारा पंजाब ऐसा नहीं था। युवा पीढ़ी देश का भविष्य है।

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