मेहनतकश पंजाबियों ने बनाया लुधियाना को बिजनेस का पावरहाउस
पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना है। इसको देश का मैनचेस्टर भी कहते हैं। होजरी एवं साइकिल के गढ़ के तौर पर प्रख्यात यह शहर नई दिल्ली-अमृतसर हाइवे पर स्थित है और राजधानी चंडीगढ़ से सिर्फ 100 किमी की दूरी पर है।
सतुलज नदी के किनारे स्थित लुधियाना आजादी की लड़ाई का अहम गवाह है। इस इलाके में अंगरेजों को सिख योद्धाओं ने जबरदस्त टक्कर दी थी। सरदार करतार सिंह, लाला लाजपत राय, मौलाना हबीब उर रहमान और बाबा संता सिंह की विरासत लुधियाना की थाती है। पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना है। इसको देश का मैनचेस्टर भी कहते हैं। होजरी एवं साइकिल के गढ़ के तौर पर प्रख्यात यह शहर नई दिल्ली-अमृतसर हाइवे पर स्थित है और राजधानी चंडीगढ़ से सिर्फ 100 किमी की दूरी पर है।
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लुधियाना का इतिहास काफी पुराना है। इसका नाता लोधी वंश से है और माना जाता है कि सिकंदर लोधी के सिपहसालार निहंग खान ने 1480 में इस शहर को बसाया था। निहंग खान ने इसे लोधियाना नाम दिया था, यानि लोधियों का शहर। शहर का मुख्य आकर्षण लोधी किला भी यही स्थित है, जिसे सिकंदर लोधी ने बनवाया है।
लुधियाना खाने-पीने के मामले में जन्नत है। यहां के लोग भी खाने-पीने के जबरदस्त शौकीन होते हैं। यहां की तंदूरी कुकिंग स्टाइल दुनिया भर में फेमस है। चाहे आप शाकाहारी हो या मांसाहारी। रोगन जोश, बटर चिकन, सरसों दा साग, मक्की दी रोटी और लस्सी लुधियाना की पहचान है। इस शहर के लोग मस्तमौला हैं और आलीशान जिंदगी जीने के लिए खर्च करने में कोताही नहीं करते।
विश्व विख्यात शायर साहिर लुधियानवी के शहर लुधियाना का पहला पुल था जगरांव पुल। यहां बुड्ढा दरिया के अलावा चार नाले थे, तो अंग्रेजों के वक्त सीएमसी की स्थापना हुई। घंटाघर चौक में बस स्टैंड एवं तांगा स्टैंड पुराने जमाने की यादें ताजा कर देते हैं।
व्यावसायिक केंद्र के तौर पर विख्यात लुधियाना के पंसारी बाजार, साबुन बाजार, गुड़ मंडी, नमक मंडी, घास मंडी, दाल बाजार, सर्राफा बाजार, ट्रंक बाजार, लक्कड़ बाजार, मोचपुरा बाजार, दवा के लिए पिंडी गली शहर की पहचान हैं।
सिर्फ व्यापार ही नहीं भाईचार के साथ रहने में भी लुधियाना का कोई सानी नहीं है। प्राचीन संगला शिवाला मंदिर, दंडी स्वामी तपोवन, ठाकुर द्वारा, दुर्गा माता मंदिर, गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब, गुरुद्वारा गऊघाट, रूपा मिस्त्री गली में जैन स्थानक, सीएमसी के पास कलवरी चर्च, चौड़ा बाजार में गिरजाघर शहर की प्राचीन धार्मिक और संस्कृति की पहचान करवाते हैं। यहां हर मजहब के लोग एक ही सुर में गाते, भांगड़ा करते मिल जाएंगे।
लुधियाना खाने के शौकीनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। पारंपरिक खाने के अलावा लुधियाने में दलीपे और झंडू की पूरी, खुशी राम की मिठाई, शंकर का कड़ाही वाला दूध, झंडू की मिठाई, पन्नू के पकौड़े, पंडित के परांठे, घुद्दू की रेवड़ी-गजक, शुद्ध मिष्ठान की मिठाई, झल्ले का पनीर प्रख्यात हैं।
देश में हरित क्रांति लाने में सहायक पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के अलावा अब गडवासू ने शहर को नई पहचान दे दी है। भले ही शहर की आबादी लाखों में है, लेकिन यहां के होजरी, टेक्सटाइल, साइकिल इंडस्ट्री, हैंड टूल, मशीन टूल, ऑटो पार्ट्स, सिलाई मशीन इंडस्ट्री ने देश विदेश में करोड़ों लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे हमेशा खुले रखे हैं।
लुधियाना की पहचान
- पंजाब हेरिटेज म्यूजियम
- महाराजा रंजीत सिंह वार म्यूजियम
- पंजाबी भवन
- फिल्लौर किला
- नेहरू रोज गॉर्डन
- हार्डी वर्ल्ड
- ट्रैफिक पार्क
- टाइगर सफारी
- बोट क्लब
- नेहरू प्लेनेटेरियम
- डियर पार्क
- गुरुद्वारा चरण कमल
- गुरुद्वारा नानक सर
- श्री दुर्गा माता मंदिर
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