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    Road Safety: चालकों में ड्राइविंग शिक्षा के अभाव में बढ़े हादसे, लुधियाना में नहीं कोई सरकारी ड्राइविंग स्कूल

    By Varinder RanaEdited By: Vipin Kumar
    Updated: Mon, 21 Nov 2022 02:00 AM (IST)

    शहर की सड़काें पर तेज रफ्तार से हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण सामने आया है। जिले में 44 निजी स्कूलों में ड्राइविंग शिक्षा का अभाव है। यहां अधिकतर स्कूलों में ट्रेनिंग देने के नाम पर सिर्फ गियर बदलना सिखाया जा रहा है।

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    ड्राइविंग सिखाने की एवज में लोगों से तीन हजार से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये लिए जा रहे। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। सड़क पर बढ़ती दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह ये भी है कि अधिकतर वाहन चालकों में ड्राइविंग शिक्षा का अभाव रहता है। सरकार ने प्रत्येक जिले में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तो बना रखे हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर ड्राइविंग स्कूल के नाम पर कुछ नहीं है। आबादी के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े जिले लुधियाना में सिर्फ 44 निजी ड्राइविंग स्कूल के सहारे काम चल रहा है। इनमें भी अधिकतर स्कूलों में ट्रेनिंग देने के नाम पर सिर्फ गियर बदलना, लेफ्ट-राइट टर्न करने के लिए लाइट का इस्तेमाल करना जैसी बेसिक जानकारी ही दी जाती है।

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    हाईवे पर लगे संकेतक बोर्ड का अर्थ तक नहीं बताया जाता। यही कारण है कि ट्रैफिक और सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। जिले में लोगों को वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए सरकारी सुविधा नहीं है। रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी की ओर से जिले में निजी ड्राइविंग स्कूल को यह काम दिया गया है। यहां पर नियमों की अनदेखी की जा रही है। नियमों के अनुसार ड्राइविंग सीखने आने वाले व्यक्ति को पहले संकेतक बोर्डों की जानकारी देनी होती है।

    इसके लिए ड्राइविंग स्कूल के अंदर ही एक क्लासरूम का होना चाहिए, लेकिन असलियत तो ये है कि ड्राइविंग स्कूलों के संचालक लोगों को सिर्फ गाड़ी में बिठाकर गेयर बदलने, एक्सीलेटर, क्लच और ब्रेक तक की जानकारी ही देते हैं। ज्यादातर ड्राइविंग स्कूल पिक एंड ड्राप (घर से) की सुविधा देते हैं ताकि ग्राहक साथ जुड़ा रहे। ड्राइविंग सिखाने की एवज में लोगों से तीन हजार से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये तक की फीस ली जाती है और एक सप्ताह में गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग देकर इतिश्री कर दी जाती है। यही कारण है कि ट्रेनिंग लेने वालों में से 90 प्रतिशत लोगों को सड़क पर चलने के नियमों के बारे में पता ही नहीं होता।

    महिला बोली, मुझे तो 15 दिन में कुछ नहीं बताया

    शहर के हैबोवाल इलाके में रहने वाली एक महिला ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उसने दो महीने पहले एक ड्राइविंग स्कूल ज्वाइन किया था। इसके लिए ड्राइविंग स्कूल संचालक को 3500 रुपये भी दिए थे। ड्राइविंग स्कूल का ट्रेनर उसके घर पर आता था। घर से गाड़ी उसे थमा दी जाती थी। एक दिन में आठ किलोमीटर तक गाड़ी चलाने के लिए दी जाती थी। इस दौरान सिर्फ गियर बदलने, रिवर्स करने व इंडीकेटर आन करने के बारे में ही बताया गया। कभी यह नहीं बताया गया कि जेब्रा क्रासिंग पर गाड़ी कहां रोकनी है? जगह-जगह लगे संकेतक बोर्ड का क्या अर्थ है? हाईवे पर तो उसे कभी ले जाया ही नहीं गया। ट्रेनर उसे घर से पिक कर वहीं छोड़ जाता था। उसने तो कभी क्लासरूम देखा तक नहीं।

    मारुति के ट्रेनिंग स्कूल में 21 दिन की ट्रेनिंग

    लुधियाना में मारुति सुजूकी कंपनी की ओर से ट्रेनिंग स्कूल खोला गया है। यहां पर 21 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें चार दिन थ्यूरी पर जोर दिया जाता है। इस दौरान वाहन के संबंध में जानकारी, रोड पर लगे संकेतक बोर्ड, हादसों के कारण और उनके बचाव के संबंध में बताया जाता है। यहां पर सिमुलेटर की सुविधा भी है। जैसे एक व्यक्ति गेम खेलते समय सब कुछ आपरेट करता है, उसी तरह उसे गाड़ी चालने की भी ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें गियर डालने से लेकर टर्न, गियर शिफ्ट, क्लच व ब्रेक का काम करना होता है। यहां पर प्रशिक्षित होने के बाद उसे दस दिन (रोजाना एक घंटा) सड़क पर गाड़ी चलानी सिखाई जाती है। इसके बाद उसे खुद गाड़ी चलाने के लिए दी जाती है। यहां पर कंपनी की तरफ से पांच हजार रुपये फीस ली जाती है।

    एक्सपर्ट व्यूः कंपनियों की जिम्मेदारी करनी चाहिए फिक्स

    ड्राइविंग ट्रेनिंग हर व्यक्ति के जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसलिए इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। विदेश में ड्राइविंग ट्रेनिंग के लिए सख्त नियम हैं। ड्राइविंग ट्रेनिंग के दौरान किसी भी व्यक्ति को हर नियम-कानून की जानकारी देना जरूरी है। सरकार को गाड़ियां बेचने वाली कंपनियों की जिम्मेदारी भी फिक्स करनी चाहिए। उन्हें भी कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत पैसा खर्च करना होता है। केवल धड़ाधड़ गाड़ियां बेचने से कुछ नहीं होता। लोगों को ड्राइविंग शिक्षा देने में इन्हें अहम रोल अदा करना चाहिए। इन सबमें अहम बात ये है कि शहर में खुले निजी ड्राइविंग स्कूल संचालकों को भी शायद ही पूरे नियम-कानून की जानकारी हो। वह तो बस अपना कारोबार कर रहे हैं।- राहुल वर्मा, ट्रैफिक विशेषज्ञ

    ट्रेनिंग के दौरान नियमों की पूरी जानकारी दें

    जिला स्तर पर जितने भी ड्राइविंग स्कूल खुले हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि वह ट्रेनिंग के दौरान नियमों की पूरी जानकारी दें। उन्हें लाइसेंस जारी करते समय सभी नियम पूरे करने के लिए कहा जाता है। अगर किसी भी ड्राइविंग स्कूल संचालक की तरफ से नियमों की अनदेखी हो रही है तो उसका लाइसेंस रद किया जा सकता है। विभाग की ओर से समय-समय पर चेकिंग की जाएगी ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो सके।- नरिंदर सिंह धालीवाल, सेक्रेटरी, आरटीए लुधियाना