लुधियाना का महाराजा रणजीत सिंह वार म्यूजियम दिखाता है सेना के पराक्रम की कहानी, जानें क्या है खासियत
महाराजा रणजीत सिंह मेमोरियल वार म्यूजियम लुधियाना चिड़ियाघर के साथ छह एकड़ जमीन पर बना है। म्यूजियम 1999 में असित्व में आया था। इस म्यूजियम में पुरातन हथियार रखे गए हैं। इसमें अलग-अलग 12 गैलरियां बनाई गई हैं।

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। अगर आप प्रथम विश्व युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध तक का इतिहास या भारतीय सेना के महान योद्धाओं के पराक्रम के बारे में जानना चाहते हैं तो लुधियाना आइए। लुधियाना जालंधर रोड पर स्थित महाराजा रणजीत सिंह वार म्यूजियम में आपको प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, महाराजा रणजीत सिंह, बाबा बंदा बहादुर, हरि सिंह नलवा, आजादी संग्राम, आजादी के बाद लड़ी गई लड़ाइयों के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी। अलग-अलग युद्धों में पंजाबी योद्धाओं के योगदान को एक छत के नीचे जानना है तो इस वार म्यूजियम से बेहतर जगह नहीं हो सकती है।
छह एकड़ जमीन पर बना है म्यूजियम
महाराजा रणजीत सिंह मेमोरियल वार म्यूजियम लुधियाना चिड़ियाघर के साथ छह एकड़ जमीन पर बना है। म्यूजियम 1999 में असित्व में आया। इस म्यूजियम में पुरातन हथियार रखे गए हैं। जिनमें खुखरी, तलवारें, बरछे, भाला से लेकर प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध, आंग्ल सिख युद्ध व स्वतंत्रता के बाद लड़ी गई लड़ाइयों में इस्तेमाल हुए हथियारों को रखा गया है। म्यूजियम में देश के लिए शहीद हुए महान योद्धाओं की तस्वीरें व उनका इतिहास लिखा है।
इसमें अलग-अलग 12 गैलरियां बनाई गई हैं, जिनमें कैटागिरी वाइज योद्धाओं व युद्धों के बारे में जानकारी गई है। एक गैलरी में स्वतंत्रता से पहले पहले हुए युद्धों, दूसरी में स्वतंत्रता के बाद हुए युद्धों, तीसरी में वार हीरो, चौथी में एयरफोर्स, पांचवीं में नेवी व छठी में आर्मी गैलरी है। इस तरह अलग अलग गैलरियां बनाई गई हैं। मुख्य हाल में यद्धों में अदम्य साहस दिखाने वाले योद्धाओं जिन्हें अलग अलग चक्रों से सम्मानित किया है उनकी तस्वीरें व उनकी उपलब्धियों के बारे में लिखा गया है।
दो घंटे घूमने के लिए चालीस रुपये फीस
इसके अलावा भारतीय सेनाओं के अलग-अलग अंगों के प्रमुख रहे पंजाबियों की तस्वीरें भी इस हाल में लगाई गई हैं। वार म्यूजियम के लान में एयरफोर्स, नेवी व आर्मी के बड़े हथियारों जैसे टैंक, फाइटर प्लेन रखे गए हैं। वार म्युजिम सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक खुला रहता है। यहां दो घंटे घूमने के लिए चालीस रुपये फीस रखी गई है जबकि बच्चों के लिए 20 रुपये फीस है। इसका संचालन पंजाब पर्यटन विभाग करता है।
लान में रखे गए हैं यह टैंक व फाइटर
-टी 54 -यह टैंक 1966 से 1993 तक भारतीय सेना का एक अहम हिस्सा रहा। 1971 के भारत पाक युद्ध में इस टैंक ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे।
-पीटी 56- यह टैंक रूस ने 1956 में तैंयार किया था। 1971 के युद्ध में इस टैंक ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
-टी 16- यह अमेरिकी टैंक है और इसे पाकिस्तान के साथ हुए दूसरे युद्ध से पहले भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
-सुखोई एसयू7, मिग 27 भी इस वार म्युजियम में रखे गए हैं।
योद्धाओं की प्रतिमा खुद बताती हैं इतिहास
म्यूजियम में महाराजा रणजीत सिंह की एक बड़ी प्रतिमा लगी है। इसके अलावा हरि सिंह नलवा व बंदा बहादुर के भी बड़े बुत बनाए गए हैं। इन बुतों के साथ उनकी पूरी हिस्ट्री और उनके द्वारा लड़े गए युद्धों के बारे में जानकारी दी गई है। यहां पर अब एक कारगिल युद्ध का स्मारक भी बनाया गया है।
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