जैन धर्म में महामंत्र नवकार की अतुलनीय महिमा : नित्यानंद सूरी
जैन धर्म में महामंत्र नवकार की अतुलनीय महिमा है। शाश्वत सिद्ध नवकार मंत्र के स्मरण से महापाप से भी छुटकारा मिल जाता है। ...और पढ़ें

संस, लुधियाना : जैन धर्म में महामंत्र नवकार की अतुलनीय महिमा है। शाश्वत सिद्ध नवकार मंत्र के स्मरण से महापाप से भी छुटकारा मिल जाता है। शारीरिक, मानसिक रोगों का उपचार और कर्मो के क्षय नवकार मंत्र के जाप से तत्काल होता है। उक्त विचार श्री आत्म वल्लभ आराधना स्थल दरेसी में रविवार को नवकार महामंत्र जाप महाअनुष्ठान के दौरान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद विजय नित्यानंद सूरीश्वर म. ने व्यक्त किए। उत्तर भारत में सर्व प्रथम इस प्रकार का जाप अनुष्ठान हुआ है। जाप चार चरणों में संपन्न कराया गया। लगभग चार घंटे तक चले इस समारोह में 1500 श्रद्धालुओं ने सफेद वस्त्र धारण कर जाप में उपस्थिति दर्ज कराई। महाराज श्री ने नवकार मंत्र के प्रभाव को बताया व स्वर सम्राट जैनाचार्य विजय जयानंद सूरि म. ने नवकार की धुन लगाई और भजनों की प्रस्तुति से आए श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया। ज्ञान मुद्रा, समन्वय मुद्रा, प्राण मुद्रा, शंखमुद्रा और ध्यानमुद्रा के माध्यम से जाप कराया।
नवकार साधक श्री जयंती राही से प्रशिक्षित भरत भाई ने अपने नवकार जाप करवाने और रहस्य समझाने के अद्भुत अंदाज से जनसमूह को बांधे रखा। मंडप में सुसज्जित विशाल मंच पर मध्य स्थान में श्री शंखेश्वर पाश्र्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा को विराजमान किया गया। नवकार के तीन यंत्र स्थापित किए गए। आयोजन के लाभार्थी दर्शन रानी धर्मपत्नी स्व. रत्तन चंद जैन, राजेंद्र बिट्टू, राजेश, राजीव जैन परिवार एवं उनके स्वजनों ने मिलकर नवकार जाप करते हुए यंत्रों पर वासक्षेप से पूजन किया। लाभार्थी परिवार द्वारा 20 ग्राम चांदी के 9 सिक्के भाग्य भक्ति ड्रॉ विजेताओं को दिए गए।
इस अवसर पर गुरु देव ने कहा कि लुधियाना जैन संघ में पहली बार प्रत्येक आयोजन में जनसमूह की इतनी विशाल उपस्थिति व उत्साह दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1975 में गुरु समुद्र, सन 1989 में गुरु इंद्र, सन 1995 में गुरु जनक चंद्र सूरि जी म.के सान्निध्य में चातुर्मास करने का पुण्य प्राप्त हुआ था। किंतु इस बार समुदाय वडिल आचार्य श्रीमद बंसत सूरि म., आचार्य श्रीमद विजय जयानंद सूरि म. की निश्रा में चल रहे सर्व मंगल चातुर्मास में जैसी शासन प्रभावना और श्रद्धालुओं की उपस्थिति देख रहा हूं, यह मेरे बडे़ गौरव की बात है। नवकार की नाव में सवार होकर भव सागर से पार होने के लिए लोगों ने नवकार दीक्षा प्राप्त की। भरत भाई का बहुमान व लाभार्थी परिवार का बहुमान चातुर्मास महासमिति एवं महासभा उत्तरी भारत द्वारा किया गया।

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