Ludhiana Travel Alert: दक्षिणी बाईपास पर सफर हाे सकता है जानलेवा, 12 साल से नहीं हुई रिपेयर
Ludhiana Travel Alert Latest News हानगर लुधियाना के ट्रैफिक को कम करने के लिए सरकार ने साल 2009 में दक्षिणी बाईपास योजना को तैयार किया था। इस योजना पर 328 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे यह योजना साल 2011 में पूरी हो चुकी है।

वरिंदर राणा, लुधियाना। Ludhiana Travel Alert: दक्षिणी बाईपास पर सफर करना जान हथेली पर रखने के बराबर है, क्योंकि बीते 12 साल से इस सड़क की मुरम्मत पर एक पाई खर्च नहीं हुई है। जिसके कारण इस रोड पर वाहन चलाना दो दूर की बात इस रोड पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। यही कारण है कि हर रोज इस रोड पर तीन से चार हादसे होते है। कई बार हादसों में लोग अपनी जान तक गंवा चुके है। अकाली भाजपा, कांग्रेस सरकार जाने के बाद अब सत्ता में आम आदमी पार्टी आ चुकी है। लेकिन इस बाईपास की किसी ने सुध नहीं ली है। सिर्फ रिपयेर के एस्टिमेट जरूर बने है, लेकिन कागजों तक ही सीमित होकर रह गए है।
साल 2009 में दक्षिणी बाईपास योजना काे किया था तैयार
गौरतलब है कि महानगर लुधियाना के ट्रैफिक को कम करने के लिए सरकार ने साल 2009 में दक्षिणी बाईपास योजना को तैयार किया था। इस योजना पर 328 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, यह योजना साल 2011 में पूरी हो चुकी है। लुधियाना के फिरोजपुर रोड से लेकर दोराहा तक 26.9 किलोमीटर एरिया में इस बाईपास का निर्माण किया गया है। इस बाईपास के निर्माण के बाद आज तक इसकी मुरम्मत पर एक पैसा खर्च नहीं हो सका है। जिसका नतीजा है कि आज इस बाईपास से सड़क की जगह सिर्फ गड्ढे ही दिखाई देते है। इन गड्ढों के कारण दिन के समय वाहन चालकों को गुजरने में दिक्कत आती है। रात के समय इस रोड पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। मजबूरी में लोगों को फिर भी जान हथेली पर रख इस बाईपास से गुजरना पड़ रहा है।
सक्या फायदा है इस योजना का
दक्षिणी बाईपास को लुधियाना के फिरोजपुर रोड से लेकर दोराहा तक बनाया गया है, इसका एक हिस्सा साहनेवाल की तरफ भी जाता है। जोकि अभी तक अधूरा पड़ा है। इस योजना को शहर ट्रैफिक कम करने के लिए तैयार किया गया था। मुल्लापुर, जगराओं, मोगा व लुधियाना से दिल्ली या चंडीगढ़ जाने के लिए शहर के अंदर आने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा लुधियाना के कारोबारियों के लिए यह रोड सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि दोराहा में फैक्टरी मालिक आने जाने के लिए इसी रोड का इस्तेमाल करते है। इस रोड का इस्तेमाल करने से एक घंटा समय की बचत होती है, वहीं सफर भी कम होता है।
सांकेतिक बोर्ड के नाम पर कुछ नहीं
दक्षिणी बाईपास पर चाहे योजना के नाम पर 328 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। अभी तक इस रोड पर बने ब्रिजों पर किसी तरह का यू टर्न लेने का बोर्ड नहीं है। इस कारण लोग ब्रिज खत्म होते ही शार्टकट रास्ते अपना रहे है जोकि हादसों का कारण बन रहे है। वहीं इस रोड पर उल्टी दिशा से आने वाले वाहन चालकों के कोई सूचना बोर्ड नहीं है। रात के समय वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं है। ब्रिज के खत्म होने पर डिवाइडर के नाम पर सिर्फ पत्थर रखे गए है, जोकि अंधेर में हादसों का कारण बनते है।
क्या है एक्सपर्ट व्यू
यह रोड पीडब्ल्यूडी एंड बीएंडआर के पास है। लेकिन 12 साल में रिपेयर नहीं हो सकी है। इस रोड पर वाहन चलाना किसी खतरे से खाली नहीं है, रात के समय तो हालात और बद्दतर हो जाते है। एक तरफ सरकार टोल प्लाजा को खत्म कर रही है, लेकिन सवाल यही है कि आखिरकार इन रोड की रिपेयर का पैसा कहां से जाएगा। जिस मकसद से इस बाईपास का निर्माण किया गया था। अब यह लोगों के लिए सुविधा की जगह दुविधा बन चुका है। सरकार को तुरंत इस पर ध्यान देना चाहिए ताकी लोगों की कीमती जानों को बचाया जा सके।राहुल वर्मा, ट्रैफिक विशेषज्ञ
70 करोड़ रुपये हाेंगे खर्चः एक्सियन
इस हाईवे की रिपेयर के लिए सरकार के पास पूरा प्लान बनाकर भेजा हुआ है। सरकार ने इसे पास भी कर दिया है। लगभग 70 करोड़ रुपये इस पर खर्च होंगे। जहां तक पैसे की बात है सरकार रिपेयर के लिए पैसा देगी। फिर भी हम गड्ढों को भरने का प्रयास कर रहे है।दविंदर सिंह, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी एंड बीएंडआर
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