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    लुधियाना में सड़कों पर बेसहारा पशुओं का आतंक: तीन साल में 30 से ज्यादा हादसे, पांच मौत और 20 घायल

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 02:00 AM (IST)

    लुधियाना में बेसहारा पशुओं का आतंक जारी है। पिछले तीन वर्षों में 30 से अधिक दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें पाँच लोगों की मौत हो गई और 20 घायल हो गए। सड़कों पर अचानक पशुओं के आने से वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। नागरिकों में डर का माहौल है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। प्रशासन द्वारा कुछ पशुओं को पकड़ा गया है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।

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    सड़कों पर बेसहारा पशुओं का आतंक। फोटो जागरण

    विजय मौर्य, लुधियाना। पंजाब का औद्योगिक शहर लुधियाना अब सड़कों पर बेसहारा पशुओं की समस्या से जूझ रहा है। दिन हो या रात, शहर की प्रमुख सड़कों पर बेसहारा पशुओं का झुंड घूमता नजर आता है। इन्हीं पशुओं की वजह से पिछले तीन वर्षों में 30 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें पांच लोगों की जान जा चुकी है और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

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    रात के अंधेरे में अचानक सड़क पर आ जाने वाले पशु कई बार गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। समराला रोड, जगरांव रोड और दरेसी पुल जैसे व्यस्त इलाकों में तो इनसे जुड़े हादसे बार-बार सामने आए हैं।

    • अक्तूबर 2023 में समराला रोड पर सांड से टकराने से बाइक सवार पति-पत्नी की मौत हो गई।
    • जून 2024 में जगरांव रोड पर बस चालक ने अचानक आए पशु को बचाने की कोशिश की, जिससे बस पलट गई- एक यात्री की मौत और सात घायल।
    • जनवरी 2025 में दरेसी पुल के पास तेज रफ्तार कार सांड से टकराई, दो युवकों की मौके पर मौत हो गई।

    सुप्रीम कोर्ट सख्त, लेकिन जमीनी हालात नहीं बदले

    सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों और हाईवे पर खुले घूम रहे बेसहारा मवेशियों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए निर्देश दिया है कि इन्हें तुरंत हटाया जाए। अदालत ने साफ कहा है कि जनता की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” बावजूद इसके, नगर निगम और गौशालाएं अभी तक स्थिति सुधारने में नाकाम रही हैं।

    शहर में दो हजार से अधिक बेसहारा पशु

    नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, लुधियाना में इस समय करीब दो हजार बेसहारा पशु खुले में घूम रहे हैं। निगम ने पिछले सालों में करीब 3,000 पशुओं को पकड़ा जरूर, लेकिन गौशालाओं में जगह और फंड की कमी के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। कई किसान और डेयरी संचालक दूध देना बंद होने पर गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं, जिससे यह संकट और बढ़ता जा रहा है।

    समाजसेवियों ने उठाई आवाज

    समाजसेवी प्रवीण डंग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को केवल कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर लागू करने की जरूरत है। उन्होंने मांग की कि हर शहर में सरकारी गौशालाएं बनाई जाएं और पशुओं के चारे की स्थायी व्यवस्था हो।

    रचना शर्मा ने कहा कि जो लोग दूध न देने पर गायों को छोड़ देते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं कृष्ण शर्मा ने सुझाव दिया कि सरकार पंचायत स्तर पर गोसंरक्षण समितियां सक्रिय करे और किसानों को प्रोत्साहित करे कि वे बूढ़ी गायों को न छोड़ें।