विवेक का अर्थ जागृत होना : महासाध्वी वीणा
महासाध्वी वीणा महाराज ने कहा कि विवेक का अर्थ होता है जागृत होना। तीन प्रकार के विवेक पैदा होता है स्वत ही अर्थात अपने आप पैदा हो जाता है। गुरु कृपा से संतों का महापुरुषों का प्रवचन श्रवण करके ठोकर से जब ठोकर लगती है तब भी आदमी को अकल आ जाती है।
संस, लुधियाना : तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज, नवकार आराधिका महासाध्वी सुनैया म., प्रवचन भास्कर कोकिला कंठी साध्वी रत्न संचिता महाराज, विद्याभिलाषी अरणवी म., नवदीक्षिता साध्वी अर्शिया, नवदीक्षिता आर्यनंद ठाणा-6 एस एस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में सुखसाता विराजमान है। इस अवसर पर अपने संदेश में महासाध्वी वीणा महाराज ने कहा कि विवेक का अर्थ होता है जागृत होना। तीन प्रकार के विवेक पैदा होता है, स्वत: ही अर्थात अपने आप पैदा हो जाता है। गुरु कृपा से संतों का महापुरुषों का प्रवचन श्रवण करके, ठोकर से, जब ठोकर लगती है, तब भी आदमी को अकल आ जाती है। उन्होंने कहा कि इंसान अपने लक्ष्य को भूलकर इधर-उधर अपनी ²ष्टि दौड़ा रहा है। व्यक्ति हर वर्ष अपना जन्म दिन मनाता है, मनाना भी चाहिए, क्योंकि उम्र कभी कम नहीं होती। साध्वी रत्न संचिता ने कहा कि गुस्सा और अहंकार जीवन में क्रेडिट कार्ड की तरह होता है,अभी उपयोग कीजिए और बाद में भुगतान। उन्होंने रामायण की व्याख्या करते हुए कहा कि रिश्ते पंछियों की तरह से होते है जोर से पकड़ो तो मर जाते है, धीरे से पकड़ों तो डर सकते है, लेकिन प्यार से पकड़ के रखो तो जिदगी भर साथ में रहते है। आज सोशल मीडिया ने दूर के लोगों बहुत करीब कर दिया पर नजदीक के लोगों को बहुत दूर कर दिया है। मोबाईल प्रेरणा दे रहा है कि स्वयं से बात करे। स्वयं के भीतर छिपे राम को पहचाने।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।