उपवास का अर्थ भूखा रहना नहीं : महासाध्वी मीना
विद्याभिलाषी साध्वी उत्कर्ष म. सा. ठाणे-4 के सानिध्य में किचलू नगर में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन श्रावक व श्राविकाओं ने जप तप में लिया भाग।

संस, लुधियाना : श्रृतवारिधि उप-प्रवर्तिनी कोकिलकंठी जैन भारती महासाध्वी मीना म., कर्मठ श्रमणी परम सेवाभावी महासाध्वी मुक्ता म. सा., प्रवचन प्रभाविका मधुर गायिका साध्वी समृद्धि म. सा., विद्याभिलाषी साध्वी उत्कर्ष म. सा. ठाणे-4 के सानिध्य में किचलू नगर में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन श्रावक व श्राविकाओं ने जप, तप में लिया भाग। पर्यूषण पर्व की सभा में महासाध्वी मीना महाराज ने कहा कि आत्मा का निरीक्षण और परीक्षण करके देखों कि आपका जीवन आसुरी जीवन तो नहीं है। अपने जीवन को दिव्यता और अध्यात्म की ओर ले जाने का प्रयत्न करें। जो शुभ अवसर हाथ लगा है? कि उसे सफल और सार्थक करने का प्रयत्न कीजिए। आप इन दिनों में उपवास करते है। परंतु क्या कभी आपने विचार किया कि उपवास शब्द का अर्थ है? उपवास का अर्थ- भूखा रहना ही नहीं है। आत्मा के समीप आप फिर आत्मा में समीप आ जाए। प्रतिक्रमण शब्द का अर्थ भी यही है? कि वापस लौटना। कहां से वापस लौटना? पाप से, दोष से बुराई से। अपने म. की सौम्यता को प्रकट होने दीजिए। क्रुरता अपने आप नष्ट हो जाएगी।
साध्वी समृद्धि महाराज ने कहा कि मानव स्वभाव से उत्सव प्रेमी रहा है । रंग, राग, आमोद, प्रमोद, खान-पान और हंसी मजाक मानव की प्रवृत्ति होती है जिसके माध्यम से वह जीवन का आनन्द लेता है। आध्यात्मिक मनीषियों ने मानव की सहज वृत्तियों को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने का प्रयास किया।
इस अवसर पर सभा सरंक्षक संरक्षक जुगल किशोर जैन संरक्षक जंगी लाल जैन, अध्यक्ष संजीव जैन सोनू, उपाध्यक्ष नेम जैन, महामंत्री संजीव जैन शाह, सहमंत्री गौरव जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप जैन समस्त पदाधिकारी, कार्यकारिणी एवं सदस्यगण सहित श्री वर्धमान जैन युवक संघ, आत्म तरुणी मंडल, नव आत्म तरुणी मंडल के सदस्यगण शामिल थे।
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