'नमो अरिहंताणं' के जाप से नहीं चलता शत्रु का जोर : रचित मुनि
एसएस जैन सभा जनता नगर में विराजित हिमाचल रत्न श्री जितेंद्र मुनि ने कहा कि महामंत्र नवकार का चमत्कार विश्व व्यापक है। जो महामंत्र नवकार की श्रद्धा भाव से आराधना करता है। वह इस लोक और परलोक में सुखी होता है ।

संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा जनता नगर में विराजित हिमाचल रत्न श्री जितेंद्र मुनि ने कहा कि महामंत्र नवकार का चमत्कार विश्व व्यापक है। जो महामंत्र नवकार की श्रद्धा भाव से आराधना करता है। वह इस लोक और परलोक में सुखी होता है । नमो अरिहंताणं जपने से शत्रुओं का जोर नहीं चलता और तामसिक शक्तियों का प्रभाव नहीं होता। कार्य व्यापार की उन्नति के लिए बहुत ही प्रभावशाली है। नमो सिद्धाणं के स्मरण करने से सिद्धि प्राप्त होती है। नमो आयरियाणं पद की आराधना से चंचल मन स्थिर होता है और मान-सम्मान व यश की प्राप्ति होती है। नमो उवज्झायाणं पद की साधना से ज्ञान की वृद्धि होती है। नमो लोए सव्वसाहूणं पद का जाप करने से चिता विघ्न बाधाएं दूर होती है। जीवन में दुखों से शांति मिलती है। इनका जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
इस दौरान विद्याभिलाषी श्री तेजस मुनि ने कहा संतुष्टि परम संपदा है असंतोष संपदाशाली को भी दरिद्र बना देता है और संतोष निर्धन और अभावग्रस्त को परमसुख के वरदान से भर देता है । चाह के शेष रहते मनुष्य सर्व सुखी नहीं हो सकता है। जिसकी चाह मिट गई, वही सर्वोच्च सुखी है। इसलिए कहा गया है कि चाह गई चिता मिटी मनवा बेपरवाह, जिनको कछु न चाहिए, वे शाहन के शाह।
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