क्षमा को लेकर हम इसे दोहराते तो है, परंतु अपनाते नहीं: साध्वी पुनीतयशा
संस लुधियाना श्री आत्मानन्द जैन सभा लुधियाना के तत्वावधान में श्री आत्मानन्द जैन महासमिति द्वारा आयोजित आत्म-लक्षी चातुर्मास के अंतर्गत श्रीमति मोहनदेई ओसवाल हाल श्री आत्म-वल्लभ जैन उपाश्रय पुराना बाजार में वर्तमान गछाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत म.सा. की सुशिष्याएं सरल स्वभावी साध्वी चन्द्रयशा म.सा. प्रवचनदक्षा साध्वी पुनीतयशा म.सा. ने अपने प्रवचन में फरमाया स्वयं को परखना और परस्पर क्षमायाचना सरल कार्य नहीं है।

संस, लुधियाना: श्री आत्मानन्द जैन सभा लुधियाना के तत्वावधान में श्री आत्मानन्द जैन महासमिति द्वारा आयोजित आत्म-लक्षी चातुर्मास के अंतर्गत श्रीमति मोहनदेई ओसवाल हाल, श्री आत्म-वल्लभ जैन उपाश्रय, पुराना बाजार में वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत म.सा. की सुशिष्याएं सरल स्वभावी साध्वी चन्द्रयशा म.सा., प्रवचनदक्षा साध्वी पुनीतयशा म.सा. ने अपने प्रवचन में फरमाया स्वयं को परखना और परस्पर क्षमायाचना सरल कार्य नहीं है।
हम प्रतिदिन पाठ करते है। समय यह कहते है कि मैं सभी जीवों से क्षमा याचना करता हूं। और सभी जीव मुझे क्षमा करें। हम इसे दोहराते तो है, परंतु अपनाते नहीं।
जो व्यक्ति सच्चे ह्दय से इसे अपनाता है। वहीं अपना कल्याण कर सकता है। हमें केवल धार्मिक अनुष्ठानों से नहीं, परंतु इन्हें जीवन में उतारने से सब कुछ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि संसार में अनादि काल से दुखों की श्रृंखला चल रही है। सारा संसार दुखमय है।
व्यक्ति को संसार से, परिवार व संपत्ति से किसी प्रिय के मरण से दुख इसलिए होता है क्योंकि वह उसके सुखों में सहयोगी होते हैं। उसके सुख में वृद्धि करते थे।

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