मीठा बोलो पर कटु वचन मत बोलो: मुनि मोक्षानंद
लुधियाना : बोल सको तो मीठा बोलो, कटु वचन तुम मत बोलो, जला सको तो दीप जलाओ, हृदय जलाना मत सीखो, लगा सको तो बाग लगाना, आग लगाना मत सीखो, फूल अगर नहीं बन ...और पढ़ें

संस, लुधियाना : बोल सको तो मीठा बोलो, कटु वचन तुम मत बोलो, जला सको तो दीप जलाओ, हृदय जलाना मत सीखो, लगा सको तो बाग लगाना, आग लगाना मत सीखो, फूल अगर नहीं बन सको, तो कांटे बनना मत सीखो। ये विचार धर्म कमल हाल में सोमवार को चातुर्मास सभा में मुनि मोक्षानंद ने व्यक्त किए।
उन्होंने प्रवचन करते कहा कि परमात्मा ने हमारे लिए जो निर्देश दिए हैं, उन उपदेशों की पालना हमें अपने जीवन में अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने कहा अगर सच्चे मोतियों की माला रखनी हो तो हम उसे अच्छी तरह संभाल कर रखेंगे। भगवान की वाणी अमृत है, उसे धारण करने के लिए क्या हमारे पास उत्तम पात्र है। अगर नहीं तो पहले वैसे पात्र की तैयारी करो। हर व्यक्ति का स्वाभिमान होता है। जैसे हम कोई अपशब्द सहन नहीं कर सके तो उसी प्रकार हमें किसी को कटु वचन कहने का भी कोई हक नहीं। हम में मानवता के लक्षण ही नहीं हैं। अपने में मानवता लाओ, किसी को कटु वचन मत बोलो। अपनी दुकान चलानी हो तो आप अच्छा माल रखते हो, क्योंकि दुकान चलानी है। इसी प्रकार भगवान ने आपको मुख रुपी दुकान दी है। जब आप इसको खोलोगे तो पता चलेगा कि इसमें कोयला भरा है या हीरे, संपत्ति और जवाहरात भरे हैं। आज हम अपने सत्ता, स्वामित्व के नशे में डूब गए है। अगर महान बनना है तो अपना व्यवहार बदलो, वाणी बदलो। व्यक्ति की महानता, विनम्र व्यवहार तथा मधुर वाणी से होती है। यदि संतों की संगत प्राप्त होती रहे तो जीवन व्यवहार उच्च बनता है।

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