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    पूत सपूत है तो धन कमा लेगा, पूत कपूत है कमाया भी गवां देगा : सन्मति मुनि

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:25 AM (IST)

    श्रमण संघीय सलाहकार उप-प्रवर्तक गुरुदेव श्री विनय मुनि म.सा. भीम के सुशिष्य रत्न गुरुदेव श्री सन्मति मुनि म. सा. साहिल ने जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में अपने प्रवचन में कहा कि

    पूत सपूत है तो धन कमा लेगा, पूत कपूत है कमाया भी गवां देगा : सन्मति मुनि

    संस, लुधियाना :

    श्रमण संघीय सलाहकार उप-प्रवर्तक गुरुदेव श्री विनय मुनि म.सा. भीम, के सुशिष्य रत्न गुरुदेव श्री सन्मति मुनि म. सा. साहिल ने जैन स्थानक रूपा मिस्त्री गली में अपने प्रवचन में कहा कि एक शरारती बच्चा था। इतना शरारती था कि उसे किसी को छेडे़ बिना चैन नहीं मिलता था। पहले तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया पर जब उसकी शरारतें ज्यादा होने लगी तो लोगों ने उसके माता-पिता से शिकायतें करने शुरू कर दी। माता पिता सोचते हैं कि हमारा एक ही तो बेटा है उसे हम समझा देंगे। पर बेटा नहीं सुधरा। फिर माता-पिता ने उसे हॉस्टल में डालने का निर्णय लिया। एक तो बेटा लायक होता है, और एक नालायक होता है। किसी ने कहा है कि पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय। क्योंकि पुत्र अगर सपूत है तो बड़ा होकर अपने आप कमा लेगा और मगर वहीं पूत कपूत है तो आपका कमाया हुआ भी उड़ा देगा। तो उस पुत्र को माता पिता होस्टल में लेकर गए। वहां के प्रिसिपल को अपने बच्चे के बारे में कहा कि वह बहुत ही शरारती है। प्रिसिपल ने कहा कि आप चिन्ता ना करें, जहां पर सारे बिगडे़ बच्चों को सीधा किया है। माता पिता अपने बच्चे को समझकर घर चले आए। इधर बच्चा अपनी शरारतें शुरू कर देता है, प्रिसिपल उसे समझाते हैं, डराते हैं धमकाते भी हैं, फिर भी बच्चा नहीं सुधरा। प्रिसिपल ने माता पिता को बुलाया और कहा कि आपका बच्चा नहीं सुधर रहा। हमने हर तरीका इस्तेमाल किया था पर वह नहीं बाप उसे लेकर जाए। माना पिता ने प्रिसिपल को फिर से विनती करी, नहीं इसे यहीं पर रहने दो। बच्चा है आज नहीं तो कल सुधर जाएगा। प्रिसिपल ने बात को माना और माता पिता ने अपने बच्चे को फिर से समझाया कि देखो बेटा यह तुम्हारा आखिरी मौका है। तुम अब भी नहीं सुधरोगे तो आने वाले वक्त में तुम्हें तकलीफे उठानी पडे़गी। परंतु बच्चा तो बच्चा ही रहा। उसने माता पिता के सामने हां भर दी और अपने कमरे में चला गया। फिर कुछ दिन उसकी शरारतें बंद रहीं। कुछ दिनों बाद प्रिसिपल ने दुबारा माता पिता को बुलाया कहा कि जो सुधरे थे, उसे भी इसने बिगड़ा दिया।

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