सिटी सेंटर घोटालाः सिद्धू ने भी खोला था कैप्टन के खिलाफ मोर्चा
आज कैप्टन अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल नवजोत सिंह सिद्धू ने कभी कैप्टन के खिलाफ सिटी सेंटर घोटाले में सराभा नगर में शिकायत दर्ज कराई थी।
लुधियाना [राजीव पाठक]। सिटी सेंटर प्रोजेक्ट ने पिछले दस सालों में बड़े सियासी उतार चढ़ाव देखे हैैं। अब विजिलेंस की क्लोजर रिपोर्ट के बाद एक बार फिर सियासत गरमाने के आसार हैं। हालांकि इस मामले में एक पहलू यह भी है कि मौजूदा स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मामले मेंं कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बकायदा थाना सराभा नगर में एफआइआर दर्ज के लिए शिकायत दी थी। तब सिद्धू भाजपा के सांसद थे और उन्होंने अविनाश राय खन्ना व अन्य के साथ इसकी शिकायत पुलिस को दी थी। यह अलग बात है कि तब पुलिस ने सुनवाई नहीं की थी और इस पर कार्रïवाई नहीं हुई।
इसका जिक्र विजिलेंस ने अपनी एफआइआर में भी किया था, लेकिन अब स्थिति उलटी हो गई है। अब सिद्धू खुद कैप्टन सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री हैं और यह प्रोजेक्ट उनके अंडर में है। उस समय तो उन्होंने भारी अनियमितताओं की बात कही थी। ग्यारह साल बाद वह इस पर अब क्या रूख रखते हैैं यह तो आने वाला समय बताएगा।
सिटी सेंटर को लेकर चेयरमैन ने छोड़ दी थी कुर्सी
सिटी सेंटर प्रोजेक्ट को लेकर विवाद तब शुरू हुआ था जब तत्कालीन ट्रस्ट चेयरमैन अशोक सिंह गरचा ने कांग्रेसी नेता पर इस प्रोजेक्ट से ऑल इंडिया कांग्रेस को 100 करोड़ रुपये देने की बात कही थी। इसके बाद गरचा ने इस प्रोजक्ट को 2003 में सस्पेंड कर दिया था। 30 जून 2003 को बकायदा इसके लिए उन्होंने तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री को पत्र भी लिखा था। उन्होंने तब के ट्रस्टी सूबा हरभजन सिंह के जरिए तत्कालीन पंजाब के कांग्र्रेस प्रधान एचएस हंसपाल को भी जानकारी दी थी। बाद में गरचा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
सिटी सेंटर प्रोजेक्ट 1979 की है योजना
सिटी सेंटर प्रोजेक्ट की योजना साल 1979 में बनाई गई थी। इसके लिए शहीद भगत सिंह नगर के 475 एकड़ स्कीम में 26.44 एकड़ जगह सिटी सेंटर के लिए रिजर्व रखी गई थी। सालों तक लटकने के बाद 2005 में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी)के तहत तैयार किया गया था। यहां पर यहां मल्टी प्लेक्स, मॉर्डन शापिंग मॉल, सुपर मार्केट, आफिस, ट्रेड सेंटर, फूड प्लाजा, सिटी म्यूजियम, रीक्रिएशन सेंटर, आइटी सेंटर, हेल्थ सेंटर, बैैंक, रिवाल्विंग रेस्टोंरेंट, एससीओ (शॉप कम आफिस) तैयार होना था।
इस साइट का कुल एरिया 10 लाख 70 हजार 553 वर्ग फुट है। यहां पार्किंग समेत 26 लाख 89 हजार 604 वर्ग फुट एरिया में निर्माण होना था। यहां 2300 कारों के लिए कार पार्किंग का निर्माण होना था। इसकी ऊंचाई 100 फुट तक रखी गई थी।
टुडे इंफ्रास्ट्रक्चर ने जब इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया तो ट्रस्ट को इस प्रोजेक्ट के जरिए करीब 20 करोड़ रुपये मिले थे। यह निर्माण कंपनी को मिले रुपये के कुल रुपये का 30 फीसद था। 70 फीसद हिस्सा टुडे ने रखना था। कुछ महीने पहले कुर्की के आदेशों के बाद इस फंड से ट्रस्ट ने मैैपल कंपनी को करीब साढ़े करोड़ का भुगतान किया है।
मौजूदा स्ट्रक्चर पर ही खर्च हुए हैैं दो सौ करोड़ : गोयल
आर्किटेक्ट संजय गोयल कहते हैैं कि पहले के डिजाइन व मौजूदा स्ट्रक्चर पर प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सकता है, लेकिन इसकी साइंटिफिक जांच होना जरूरी है, तभी इसकी स्थिति का पता चलेगा कि मौजूद समय में बने स्ट्रक्चर किस हालत में है। अंदाजन जितने बड़े एरिया में इसका निर्माण हुआ है इस पर करीब दो सौ करोड़ खर्चा आया होगा। इस स्ट्रक्चर को तोड़ कर फिर से बनाना बहुत ही मंहगा सौदा साबित होगा।
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