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कोरोना से बचाएगी लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट, मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाया खास देसी किट

पंजाब में कोराेना के खिलाफ जंग जारी है। लुधियाना के एक मैकेनिकल इंजीनियर ने कोरोना से बचाव के लिख खास लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट बनाया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 12:13 PM (IST)
कोरोना से बचाएगी लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट, मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाया खास देसी किट

लुधियाना, [राजन कैंथ]। पंजाब में कोरोना वायरस COVID-19 से जंग जारी है और सभी लोग अपने तरीके से इसमेें याेगदान दे रहे हैं। लुधियाना के एक युवा मैके‍निकल इंजीनियर ने भी इसमें खास योगदान दिया है और कमाल का सुरक्षा किट बनाया है। यह लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट कोरोना वायरस के संक्र‍मण से बचाएगा। युवा इंज‍ीनियर ने इसे खासतौर पर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल टीम के लिए तैयार किया है। 

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लुधियाना के मैकेनिकल इंजीनियर ने बनाई, सरकारी अस्पताल में निशुल्क देना चाहते हैं

यह एक ऐसी प्रोटेक्टिव शीट है जिसे पहनने के बाद किसी के भी खांसने अथवा छींकने पर डॉक्टर और नर्स के मुंह पर छींटें नहीं पड़ेंगे और वे इन्फेक्शन से बचे रहेंगे। यह शीट एबीएस (एक्रेलोनाइट्राइल ब्यूटाडाइन स्टाइरीन) मैटीरियल से बनाई जा रही है। रीमूवेबल होने के कारण इसे ऊपर से नीचे किया जा सकता है।

लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट पहने इसे बनाने वाले मैकेनिकल इंजीनियर ऋषि चोपड़ा।

प्रोटेक्टिव शीट बनाने वाले मॉडल टाउन निवासी मैकेनिकल इंजीनियर ऋषि चोपड़ा ने कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों का टेस्ट और उपचार कर रहे डॉक्टरों व नर्स के लिए उनकी बनाई रीमूवेबल शीट बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसे उन्होंने लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट का नाम दिया है। प्रयोग के लिए वह दो-दो शीट्स अपोलो अस्पताल के डॉक्टर एैजक जिंदल और बस्सी नर्सिंग होम के डॉक्टर अनुप्रीत बस्सी को दी हैं।

 ऋषि चोपड़ा ने बताया कि वह लुधियाना सिविल सर्जन डॉक्टर राकेश बग्गा को भी दो पीस टेस्टिंग के लिए देकर आए थे। उनका कहना है कि वह 125 लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट तैयार करके सरकारी अस्पताल को निश्शुल्क देना चाहते हैं। उधर, सिविल सर्जन डॉ. राजेश बग्गा ने शीट मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह इसे मंजूरी दे रहे हैं।

ऐसे आया शीट बनाने का आइडिया

ऋषि ने बताया कि कर्फ्यू के बाद वह अपने घर में बेकार बैठे थे। उनके बड़े भाई अंशुल चोपड़ा मैकाट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने घर में ही थ्री-डी प्रिंटिंग मशीन लगा रखी है। दोनों ने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए, जो मानवता की सेवा के काम आ सके। ऋषि ने अखबारों में पढ़ा था कि सिविल अस्पताल में डॉक्टरों के पास केवल पांच पीपीई किट हैं, जो उनके लिए नाकाफी है। यह सब पढऩे के बाद उनके दिमाग में लाइफ सेविंग प्रोटेक्टिव शीट बनाने का विचार आया।

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