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मल्टीपर्पस स्कूल ने पंजाब को दिए कई होनहार, 144 पहले हुई थी स्थापना Ludhiana News

लुधियाना के सरकारी मल्टीपर्पस स्कूल में दो विधायक और पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और पूर्व सेहत मंत्री शिक्षा सतपाल गोसाईं भी शिक्षा हासिल कर चुके है।

By Sat PaulEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 09:51 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 09:51 AM (IST)
मल्टीपर्पस स्कूल ने पंजाब को दिए कई होनहार, 144 पहले हुई थी स्थापना Ludhiana News
मल्टीपर्पस स्कूल ने पंजाब को दिए कई होनहार, 144 पहले हुई थी स्थापना Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। अंग्रेजों के जमाने से प्रतिष्ठित रहे सरकारी मल्टीपर्पस स्कूल ने देश को कई होनहार दिए हैं। इस स्कूल में दो विधायक और पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और पूर्व सेहत मंत्री शिक्षा सतपाल गोसाईं भी शिक्षा हासिल कर चुके है। खास बात यह थी कि अंग्रेजों के समय से ही इस स्कूल में वोकेशनल क्लासेज भी चलाई जाती थीं। शहर में वोकेशनल स्टडी दिलाने वाला उस वक्त यह एक मात्र स्कूल था।

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देश आजाद हाेने के बाद शुरू हुए कई कोर्स

देश आजाद हुआ और केंद्र सरकार ने इस स्कूल को मल्टीपर्पस स्कीम में शामिल किया और स्कूल में नए कोर्स भी शुरू करवा दिए। तब से स्कूल का नाम मल्टीपर्पस स्कूल हो गया और यहां पर वोकेशनल स्टडी के अलावा साइंस, कॉमर्स व ह्यूमेनिटीज ग्रुप में भी स्टडी होने लगी। स्कूल अंग्रेजों के जमाने से ही नामी स्कूलों में शामिल रहा। आज भी अंग्रेजों के जमाने की कुछ इमारतें स्कूल के अंदर मौजूद हैं। बताया जाता है कि इस स्कूल के अंदर ही उस वक्त अंग्रेज अफसरों के दफ्तर भी थे।

अंग्रेजों ने शुरू करवाई वोकेशनल क्लासेज

144 साल पहले स्कूल की स्थापना हुई। अंग्रेजों ने शहर में केसर गंज चौक के पास 1875 में एक प्राइमरी स्कूल की स्थापना की। स्थापना के आठ साल बाद यानी 1883 में ही इस स्कूल को मिडल और बाद में हाई स्कूल बना दिया गया। बताया जाता है कि जो लोग बच्चों को मिशनरी स्कूलों में नहीं पढ़ाते थे, उनके बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल शुरू किया गया। जब स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने लगी तो 1883 में इस स्कूल को मिडिल स्कूल के तौर पर अपग्रेड किया गया। उस समय यह स्कूल केवल सेकेंडरी लेवल तक था। 1932 में अंग्रेजों ने ही इस स्कूल को हायर सेकेंडरी बना दिया और यहां पर वोकेशनल क्लासेज शुरू कर दी। अंग्रेज अपनी कंपनियों में काम करवाने के लिए विद्यार्थियों को यहां पर वोकेशनल स्टडीज करवाते रहे।

इस स्कूल ने देश को दिए कई होनहार

इस स्कूल ने कई लोगों के भविष्य को संवारा और देश को कई होनहार दिए। आजादी के बाद यह स्कूल शहर के प्रमुख स्कूलों में शामिल हो गया। इस स्कूल ने कई हस्तियों को तराशने का काम किया। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एडवोकेट, राजनीतिज्ञ, खिलाड़ी व अफसर शामिल हैं। आजादी के बाद मल्टीपर्पस स्कीम में आने के बाद कई नए कोर्स शुरू हुए। वर्तमान में इस स्कूल में 1800 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं और कई स्ट्रीम में पढ़ाई हो रही है।

अंग्रेजों के जमाने में ही बना था मल्टीपर्पस हॉल

स्कूल की ज्यादातर पुरानी इमारतों को तोड़कर नई इमारतें बना दी गई हैं। लेकिन मल्टीपर्पस हॉल और एक अन्य पुरानी इमारत आज भी परिसर में हैं। यह दोनों इमारतें टिन के शेड से बनाई गई हैं। वर्तमान में इमारत में कई जगह रिपेयर करवाई गई है, लेकिन इनकी लुक आज भी अंग्रेजों के जमाने की है।

आजादी के वक्त भी वोकेशनल स्टडी

पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और पूर्व सेहत मंत्री सतपाल गोसाईं भी इस स्कूल में पढ़े हैं। उन्होंने 1948 से 1953 तक स्कूल में पढ़ें और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। वह बताते हैं कि जब वह स्कूल में पढ़ने आए थे, यहां हर तरह की सुविधाएं थीं और वोकेशनल स्ट्रीम में दाखिले के लिए लोग दूर दूर से इस स्कूल में आते थे। निजाम रोड की तरफ वाली इमारत प्राइमरी स्कूल की थी, जबकि सिनेमा रोड की तरफ बनी इमारतों में बड़ी कक्षाएं चलती थी। वह बताते हैं कि जब वह विधानसभा के डिप्टी स्पीकर बने तो उस वक्त उन्होंने स्कूल की इमारत के लिए काफी फंड दिया। गोसाईं ने कहा कि शुरू से इस स्कूल का शहर के लिए विशेष महत्व रहा है।

फेसबुक से ढूंढ रहे हैं हिस्ट्री

स्कूल की प्रिंसिपल नवदीप रूमाना ने बताया कि उनके पास स्कूल की हिस्ट्री का ज्यादा रिकाॅर्ड उपलब्ध नहीं है। यहां के जो विद्यार्थी शीर्षस्थ पदों पर हैं उनमें से कुछ के नाम उपलब्ध हैं तो उनकी सूची स्कूल में लगाई गई है। अब हम फेसबुक पर उन लोगों से संपर्क साध रहे हैं जिनका स्कूल से संबंध रहा है ताकि स्कूल का इतिहास संजो सकें।

वॉलीबाल मैच देखने जाते थे

पूर्व विधायक व शिअद (बादल) के जिला प्रधान रणजीत सिंह ढिल्लों भी यहीं पढ़े। बताते हैं कि छठी कक्षा में उन्होंने इस स्कूल में दाखिला लिया। स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या इतनी ज्यादा होती थी कि स्कूल डबल शिफ्ट में लगता था। वॉलीबाल की टीम पूरे सूबे में बेस्ट थी और हमें वो मैच दिखाए जाते थे।

ये विद्यार्थी बने स्कूल की शान

  •  कुलवंत राय ढांडा (1901 से 1910) लंदन में बैरिस्टर
  • मित सिंह सेखों (1944) सुप्रीम कोर्ट जज
  •  सतपाल गोसाईं (1948 से 1953) डिप्टी स्पीकर व कैबिनेट मंत्री
  •  सुंदर सिंह (1959) अर्जुन अवार्डी
  •  बिसंबर नाथ (1960) विंग कमांडर
  •   रणजीत सिंह ढिल्लों, विधायक
  •   बलविंदर सिंह बैंस, विधायक
  •   सतनाम सिंह, कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडिलिस्ट
  •  प्रोफेसर मोहन सिंह, प्रसिद्ध साहित्यकार 

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