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Kisan Andolan: आंदोलन के नाम पर अराजकता की छूट देना राज्य के हितों के साथ खिलवाड़

Punjab Kisan Andolan आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाने वाले कुछ लोगों को इतनी छूट देना राज्य और यहां के निवासियों के हितों से खिलवाड़ करने देना ही कहा जाएगा। सरकार को तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर ठोस कदम उठाने चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 02:06 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 02:10 PM (IST)
Kisan Andolan: आंदोलन के नाम पर अराजकता की छूट देना राज्य के हितों के साथ खिलवाड़
Punjab Kisan Andolan: उठाने होंगे ठोस कदम

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। आंदोलन के नाम पर कुछ लोगों की अराजकता का दुष्परिणाम है कि लुधियाना के लाजिस्टिक पार्क के बाद अब फिरोजपुर का साइलो भी बंद हो गया है। यह अजीब मनमानी है कि कुछ किसान ऐसे संस्थानों के बाहर कई माह से डटे हुए हैं और कामकाज नहीं होने दे रहे। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसा करके कुछ किसान केवल उस संस्थान व पंजाब की आर्थिकी को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे, बल्कि इसका खामियाजा राज्य के ही कई किसानों व उद्यमियों को भी भुगतना पड़ रहा है। जिस तरह लुधियाना का लाजिस्टिक पार्क बंद होने से वहां कार्यरत कई युवा बेरोजगार हो गए थे उसी तरह फिरोजपुर का साइलो बंद होने से भी अनेक श्रमिकों का कामकाज छिन गया है।

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हैरानी इस बात की है कि धरना-प्रदर्शन करने वाले कुछ किसान यह भी नहीं देख रहे कि जिनका रोजगार छिन रहा है, वे युवा भी किसान परिवारों से ही हैं। जैसे लाजिस्टिक पार्क बंद होने से उद्यमियों को अपना माल देश-विदेश में भेजने की सुविधा कम हो गई वैसे ही साइलो बंद होने से किसानों को फसल बेचने में असुविधा हो सकती है।

यह विडंबना ही है कि सरकार लगातार किसानों को कुछ भी करने की खुली छूट देती जा रही है, जबकि दूसरी ओर अगर कोई वर्ग किसी मंत्री या मुख्यमंत्री का आवास घेरने जाता है तो उसे पहले ही रोक दिया जाता है। इसके लिए बल प्रयोग करने से भी संकोच नहीं किया जाता। जब कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार कुछ वर्गो पर सख्ती कर सकती है तो फिर आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाने वाले कुछ लोगों को इतनी छूट देना राज्य व यहां के लोगों के हितों से खिलवाड़ करने देना ही है। राज्य में टोल प्लाजा बंद पड़े हैं, कई कंपनियों के शोरूम कई माह से खुलने नहीं दिए गए हैं और अब वे स्थायी तौर पर बंद होने के कगार पर हैं। इसका एक दुष्परिणाम यह भी है कि अब केवल कृषि सुधार कानून रद करने को लेकर ही नहीं, अन्य किसी भी मांग को लेकर किसान या अन्य कोई भी हाईवे या ट्रैक जाम करने बैठ जाता है। इससे आए दिन आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।

यह सवाल हर किसी के जहन में उठना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा? सरकार को इस तरह कानून हाथ में लेने और आम जनता के लिए परेशानी पैदा करने के साथ-साथ राज्य के ही किसानों, उद्यमियों और आर्थिकी को नुकसान पहुंचाने वालों को खुली छूट नहीं दी जानी चाहिए। उनकी मांगों पर गौर किया जाए, उचित मंच पर उचित तरीके से उन पर चर्चा हो, लेकिन ऐसी अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।


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