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बाबर ने बनवाया था लुधियाना का यह शिव मंदिर, खंडित शिवलिंग की पूजा करते हैं लोग

कहा जाता है कि इस प्राचीन शिवायल को पांडवों ने वनवास के दौरान बनाया था। बाद में यहां के शिवलिंग को बाबर ने खंडित कर दिया था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 02:57 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 02:57 PM (IST)
बाबर ने बनवाया था लुधियाना का यह शिव मंदिर, खंडित शिवलिंग की पूजा करते हैं लोग
बाबर ने बनवाया था लुधियाना का यह शिव मंदिर, खंडित शिवलिंग की पूजा करते हैं लोग

लुधियाना [दिलबाग दानिश]। लुधियाना के पायल एरिया में एक अनोखा शिवालय है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस शिलालय को पांडवों ने वनवास के दौरान बनाया था। बाद में इसे मुस्लिम शासक बाबर ने खंडित कर दिया था। हालांकि जब उसे परेशानियां पेश आने लगी तो उसने दोबारा शिव मंदिर बनवाया लेकिन शिवलिंग खंडित ही रहा। तब से यहां शिवलिंग की इसी रूप में पूजा होती है।

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करीबन पचास एकड़ में फैला यह मंदिर सुंदरता के लिहाज से मनमोहक है। धार्मिक मान्यता के कारण यहां आने वाले भक्तों को मानसिक संतुष्टि भी मिलती है। यहां मान्यता है कि अगर सूखा पड़े तो शिवालय में मात्र पानी भर देने से ही बारिश होती है। पांडवों ने वनवास के दौरान यहां पर तालाब भी बनवाया था, जिसका अभी विस्तार किया जा रहा है।

यहां पर सेवा कर रहे पंडित बताते हैं कि पांडवों और द्रोपदी को जब वनवास मिला तो वह यहां आए थे। उन्होंने मुक्ति पाने के लिए शिव अराधना की और शिवालय की स्थापना की। उसके बाद वे श्राप से मुक्त होकर वह वापस अपने घर चले गए थे। कहा जाता है कि बाबर को जब पता चला कि यहां पर शक्तिशाली शिवालय मौजूद है तो वह खुद यहां आया और शिलालय उखाड़ने का प्रयास किया। जब वह इसमें सफल नहीं हो सका तो उसने शिवलिंग को ऊपर से काट दिया। उस स्थान से खून की धारा बहने लगी और वह वहां से चला गया। हालांकि इसके बाद उसे मानसिक तनाव रहने लगा। बाद में वह दोबारा यहां आया और उसने शिवालय के बगल में ही शिव और गणेश जी के मंदिर की स्थापना की।

पहले यहां पर कोई नहीं आना चाहता था। चारो तरफ बीयाबान था। बीस साल पहले लुधियाना के वकील वरिंदर खैहना ने इसकी देखरेख शुरू की। शिव मंदिर और नव दुर्गा मंदिर की स्थापना की है। अब यहां के सरोवर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। इससे लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा।

हर वर्ष शिवरात्रि पर लगता है मेला

यहां पर प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर भव्य समागम करवाया जाता है। इस दौरान शिव अराधना के साथ-साथ लंगर लगाया जाता है। प्रबंधक वरिंदर खैहरा बताते हैं कि इस शिवलिंग पर 40 दिन लगातार जल चढ़ाने से साक्षात शिव दर्शन देते हैं। यहां पर सभी की मनोकामना पूरी होती है।

नौ साधुओं ने किया तप और ली समाधि

प्रबंधर वरिंदर खैहरा के अनुसार यहां पर 9 साधुओं ने तप करके जिंदा समाधि ली थी। उनकी समधियां यहां बनी हुई हैं। कहा जाता है कि एक साधु के साथ एक कौए और कुत्ते ने भी समाधि ली थी। तब से यहां पर कौऐ हमेशा रहते हैं।

पार्क और शिव की भव्य मूर्ति आकर्षण का केंद्र

यहां पर बच्चों के लिए बेहद सुंदर पार्क बनाया गया है। इस कारण लोग यहां घूमने आना पसंद करते हैं। इसके अलावा यहां पर पार्कों में शिव जी और गणेश जी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां विराजित हैं जो यहां आने वाले शिव भक्ताें को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।


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