लुधियाना: शिक्षक नरिंदर सिंह ने पढ़ाने के अनूठे तरीके से बदली सरकारी स्कूल की सूरत, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हुए चयनित
लुधियाना के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक नरिंदर सिंह ने शिक्षा को रोचक बनाने के लिए कई नवाचार किए हैं। उन्होंने मोबाइल लाइब्रेरी रामानुजन गणित पार्क लूडो और शतरंज जैसे खेलों का उपयोग करके बच्चों को पढ़ाया। मस्ती की पाठशाला में छोटे बच्चे खेलते-खेलते सीखते हैं। स्कूल में आइटी पार्क सुंदर लिखाई पार्क और ट्रैफिक ट्रेनिंग पार्क भी हैं।

राधिका कपूर, लुधियाना। पंजाब के लुधियाना जिले में स्थित जंदियाली के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई अब केवल किताबों तक सीमित नहीं रही।
यहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देने का ऐसा अनूठा प्रयोग हो रहा है, जिसने शिक्षा को रोचक बना दिया है और बच्चों के व्यक्तित्व में भी सकारात्मक बदलाव आ रहा है। इन बदलावों की वजह हैं स्कूल के शिक्षक नरिंदर सिंह, जिन्हें उनके नवाचारों के चलते इस साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है।
नरिंदर सिंह वर्ष 2006 से स्कूल से जुड़े हैं। शुरुआत से ही उन्होंने ठान लिया था कि बच्चों को पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करनी है। उनका मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें जीवन मूल्यों, ईमानदारी और अनुशासन की सीख भी होनी चाहिए।
इसी सोच के तहत उन्होंने स्कूल में दर्जन भर से अधिक नवाचार किए हैं, जिनसे 800 बच्चों की पढ़ाई अब आनंदमयी बन गई है। नरिंदर सिंह कहते हैं कि मेरे आदर्श खुद स्कूली बच्चे हैं। उनकी लगन और जिज्ञासा ही मुझे नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित करती है।
पढ़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए नरिंदर सिंह ने स्कूल में एक मोबाइल लाइब्रेरी बनाई है। इसमें विभिन्न विषयों की किताबें रखी गई हैं और नीचे पहिए लगाए गए हैं ताकि इसे किसी भी कक्षा तक ले जाया जा सके।
इस लाइब्रेरी का नाम पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। स्कूल प्रांगण में रामानुजन गणित पार्क तैयार किया है। पत्थरों इकट्ठा करके उन्हें रंगा गया और उन पर गणित के फार्मूले, आकृतियां और प्रश्न लिखे गए हैं। यहां बच्चे खेल-खेल में कठिन समझे जाने वाले गणित के सवाल चुटकियों में हल कर लेते हैं।
लूडो, शतरंज और मस्ती की पाठशाला
नरिंदर सिंह ने शिक्षा को खेलों से जोड़ने का प्रयोग भी किया है। उन्होंने पेंट से 10×10 फुट की लूडो बनाई है, जिसमें बच्चे जोड़-घटाव के सवाल खेलते-खेलते सीखते हैं। चेस बोर्ड उन्होंने टाइल्स से तैयार किया और प्यादे बेकार बोतलों से बनाए। इस नवाचार ने बच्चों को इतना प्रेरित किया कि कई बच्चे जिला और राज्य स्तर पर चेस प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं।
प्री-प्राइमरी बच्चों के लिए ‘मस्ती की पाठशाला’ बनाई गई है। इसमें कलरफुल फर्नीचर, पजल्स, ब्लॉक्स, रिंग्स और डाल हाउस रखे गए हैं ताकि छोटे बच्चे खेलते-खेलते सीख सकें। स्कूल में आइटी पार्क, सुंदर लिखाई पार्क, रियल लाइफ बेस्ड एक्टिविटीज, जादुई पिटारा और ट्रैफिक ट्रेनिंग पार्क भी बनाए गए हैं।
यहां तक कि बच्चों में ईमानदारी की भावना विकसित करने के लिए लॉस्ट एंड फाउंड कार्नर भी है, जहां गुम हुई चीजें बच्चे खुद आकर रख देते हैं।
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