भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. लाल को मिला प्रतिष्ठित विश्व खाद्य पुरस्कार, PAU से है नाता
PAU में पढ़े मोगा के डॉ. रतन लाल को विश्व खाद्य पुरस्कार मिला है। उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार व वैश्विक खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने में योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला है।
जेएनएन, लुधियाना। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के छात्र रह चुके भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा विज्ञानी डॉ. रतन लाल को कृषि क्षेत्र के प्रतिष्ठित सम्मान विश्व खाद्य पुरस्कार (World food award) से नवाजा गया है। इसे कृषि क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) माना जाता है। वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन (World Food Prize Foundation) की प्रधान बारबरा सटिंसन ने ऑनलाइन समारोह के दौरान इस पुरस्कार की घोषणा की। रतन लाल का जन्म मोगा जिले के करियाल गांव में हुआ था।
मोगा जिले के करियाल गांव में जन्मेे डॉ. लाल को मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने, छोटे किसानों की मदद कर वैश्विक खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने में योगदान देने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 76 वर्षीय रतन ने ही इस बात को उजागर किया था कि मिट्टी में कार्बन व जैविक मादा की बढ़ोतरी से न सिर्फ मिट्टी की सेहत अच्छी होती है, बल्कि इससे हवा का स्तर बेहतर होता है। डॉ. रतन विश्वस्तर पर ख्याति मिलने के बावजूद बेहद विनम्र हैं। मृदा विज्ञानियों में उनका कोई सानी नहीं है।
वर्ष 2012 में पीएयू के गोल्डन जुबली समारोह में पहुंचे (बाएं से दाएं) भारतीय कृषि खोज कौंसिल नई दिल्ली के निर्देशक जनरल डा. आरएस पड़ौदा के साथ बातचीत करते हुए डॉ. रतन लाल। (फाइल फोटो)
PAU के वाइस चांसलर पद्मश्री डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा कि डॉ. रतन लाल को विश्व खाद्य पुरस्कार प्राप्त होना देश और PAU के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि है। इससे दुनियाभर में PAU का नाम रोशन हुआ है। ढिल्लों ने कहा कि डॉ. लाल को उन्होंने बधाई दी तो उन्होंने ईमेल के जरिए PAU के स्टाफ, अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि PAU से मिली विश्वस्तरीय शिक्षा व प्यार की बदौलत ही यह संभव हुआ और वह जल्द ही PAU आएंगे। उधर, PAU के कृषि कॉलेज के डीन डॉ. एसएस कुक्कल ने एलुमिनी एसोसिएशन की तरफ से डॉ. रतन लाल को विश्वस्तरीय सम्मान के लिए बधाई दी।
PAU में 1959 में लिया था दाखिला
डॉ. रतन लाल ने 1959 में PAU में दाखिला लिया था। 1963 में बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री हासिल की। वर्ष 1966 में उन्होंने इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली (Indian Agricultural Research Institute) से मास्टर डिग्री की। पीएचडी करने के लिए वह यूएसए चले गए।
PAU ने डॉक्टर ऑफ साइंस की ऑनरेरी डिग्री से नवाजा
वीसी डॉ. ढिल्लों ने कहा कि डॉ. रतन से कई बार मिल चुके हैं। PAU की ओर से वर्ष 2001 में उनको डॉक्टर ऑफ साइंस की ऑनरेरी डिग्री से नवाजा जा चुका है। 27 नवंबर वर्ष 2012 में PAU के गोल्डन जुबली समारोह में भी वह शिरकत कर चुके हैं। इसमें डॉ. गुरदेव सिंह खुश भी पहुंचे थे।
डॉ. गुरदेव खुश को भी मिल चुका यह पुरस्कार
PAU के ही छात्र रह चुके और फादर ऑफ राइस रेवोल्यूशन (Father of rice revolution) के नाम से विख्यात डॉ. गुरदेव सिंह खुश को भी वर्ष 1996 में विश्व खाद्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। डॉ. खुश ने भी PAU से ही बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री की थी।
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