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    Independence Day 2022 : फिरोजपुर में भारत का आखिरी गांव, जहां कभी नहीं पहुंचा तिरंगा; अब हर घर दिख रही देश की शान

    By Vinay KumarEdited By:
    Updated: Sun, 14 Aug 2022 09:56 AM (IST)

    Independence Day 2022 भारत पाक जीरो लाइन पर गांव कालूवाला में पहले कभी तिरंगा नहीं फहराया गया। इस बार हर घर तिरंगा की तर्ज पर फिरोजपुर के सामाजिक संगठनों ने दरिया पार कर न सिर्फ गांव में तिरंगे लगाए बल्कि भारत माता के जयघोष से आसमान गूंज उठ।

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    Independence Day 2022 : फिरोजपुर में भारत के आखिरी गांव में गूंजे भारत माता के जयघोष।

    संजय वर्मा, गांव कालूवाला (फिरोजपुर) : Independence Day 2022 : तीन तरफ सतलुज दरिया तो एक तरफ पाकिस्तान। भारत पाक जीरो लाइन पर बसे छोटे से गांव कालूवाला में जहां हर जरूरत को पूरा करने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है, वहीं देश भक्ति का ख्याल शायद ही किसी मन में आया हो। गांव में पहले कभी तिरंगा नहीं फहराया गया। हर घर तिरंगा की तर्ज पर फिरोजपुर के सामाजिक संगठनों ने दरिया पार कर न सिर्फ गांव में तिरंगे लगाए, बल्कि भारत माता के जयघोष से आसमान गूंज उठा।

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    आजादी के 75वें महोत्सव के जश्न कैसे मनाया जा रहा है, गांव वालों को नहीं पता। गांव वालों ने बीएसएफ का फ्लैग मार्च तो देखा, लेकिन इस उत्सव में कैसे शामिल हों किसी को पता नहीं। छोटे गांव में महज पचास घर हैं और आबादी 150 के करीब। साधन कम होने के कारण रोजमर्रा के काम  और खाने की चिंता। ऐसे में जश्न का सवाल जहन में नहीं आता। शहीद भगत सिंह कालेज और सरहदी लोक सेवा समिति के सदस्य शनिवार को तिरंगे लेकर गांव पहुंचे तो आजादी के महोत्सव का रंग बदला। गांव वालों ने घरों की छतों पर तिरंगे सजा संस्थाओं के साथ मिलकर भारत माता के जयघोष लगाए।

    गांव वासी काला सिंह, जोगिंदर सिंह  मंजीत सिंह और निशान सिंह ने कहा कि इससे पहले गांव में कोई तिरंगा लेकर नहीं आया। बार्डर की कंटीली तारों के पास बीएसएफ पोस्ट  पर ही तिरंगा लगता रहा है। फिरोजपुर से तिरंगे लेकर संस्था के सदस्य पहुंचे तो उनके मन में भी उत्साह भर गया। बच्चों और संस्थाओं के सदस्यों ने तिरंगा देकर दौड़ लगाई तो लगा वे भी देश का हिस्सा हैं।

    शहीद भगत सिंह कालेज के निदेशक धर्मपाल बांसल और उप जिला शिक्षा अधिकारी डा. सतिंदर सिंह ने कहा कि सतलुज के घिरे होने के कारण इस छोटे गांव में साधन कम हैं। लोगों को दवा लेने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ता है। दरिया का जल स्तर बढ़ते ही गांव दूसरे गांवों से कट जाता है। पाकिस्तान के करीब होने के कारण यहां पर भी आजादी का महोत्सव विशेष मायने रखता है। जहां कभी घरों पर तिरंगा नहीं लगा। आज हर घर पर तिरंगा लहरा रहा है।