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    Punjab News: खन्ना तहसीलदार कार्यालय में इनकम टैक्स विभाग का सर्वे, करोड़ों के संपत्ति सौदों को छुपाने का दावा

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 07:17 PM (IST)

    आयकर विभाग ने खन्ना तहसीलदार कार्यालय पर संपत्ति की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता लाने के लिए सर्वे किया। विभाग को करोड़ों के संपत्ति सौदों को छुपाने के मामले मिले हैं। 30 लाख से अधिक की रजिस्ट्री का ब्यौरा देना अनिवार्य है। विभाग ने अमृतसर लुधियाना मोहाली में भी कार्रवाई की है। तहसीलदारों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

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    इनकम टैक्स विभाग ने किया खन्ना तहसीलदार कार्यालय में सर्वे

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। इनकम टैक्स विभाग के इंटेलिजेंस एवं क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन विंग की तरफ से खन्ना तहसीलदार कार्यालय पर सर्वे किया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह सर्वे सभी कानूनी प्रावधानों के तहत किया गया और यह संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़े वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने तथा स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स को समय पर और सही ढंग से दाखिल करवाने की बड़ी मुहिम का हिस्सा है।

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    ऐसे कई लेन-देन, जिन्हें विभाग को अनिवार्य रूप से रिपोर्ट किया जाना चाहिए था, उन्हें छुपाया गया। सूत्रों के अनुसार, विभिन्न स्थानों पर करोड़ों रुपये मूल्य के संपत्ति सौदों को आयकर विभाग से छुपाए जाने के बड़े पैमाने पर मामले सामने आए हैं। जब विंग ने रिकॉर्ड का भौतिक ऑडिट किया और राज्य रजिस्ट्री साफ्टवेयर के कच्चे डेटा की तुलना संबंधित तहसीलदारों द्वारा दी गई रिपोर्ट से की, तो भारी विसंगतियां पाई गईं।

    इंडियन टैक्सेशन एडवोकेट्स एसोसिएशन के प्रधान एडवोकेट जतिंदर खुराना ने बताया कि इनकम टैक्स प्रावधान के अनुसार 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की सभी रजिस्ट्री का ब्यौरा आयकर विभाग को दिया जाना अनिवार्य है। तहसील कार्यालय का राजस्व विभाग ऐसे मामलों में खरीदारों और विक्रेताओं के नाम, पैन और आधार कार्ड विवरण उपलब्ध कराना बाध्य है।

    उल्लेखनीय है कि हाल के महीनों में विभाग ने अमृतसर, लुधियाना और मोहाली सहित क्षेत्र के कई हिस्सों में ऐसी ही कार्रवाई की है। इसी प्रकार की सर्वे व प्रवर्तन कार्रवाईयां कई तहसीलदारों पर भी की गई हैं। देखा गया है कि कई तहसीलदारों ने खरीदारों और विक्रेताओं के सही विवरण (विशेष रूप से पैन) बताए बिना ही आयकर विभाग को आंकड़े भेजे।

    जबकि पैन नंबर ही उन पक्षकारों की पहचान को ट्रैक करने का आधार है। बिना मान्य पैन के रिपोर्ट की गई जानकारी विभाग के लिए बेकार हो जाती है और विभाग के लिए यह पता लगाना या सत्यापित करना असंभव हो जाता है कि सौदे में लगाए गए धन का स्रोत क्या है और ऐसे लेन-देन पर पूंजीगत लाभ का सही-सही लेखा-जोखा हुआ है या नहीं। प्रवर्तन गतिविधियों के अतिरिक्त, विभाग का विंग तहसीलदारों के लिए जागरूकता संगोष्ठियां और आउटरीच कार्यक्रम भी आयोजित कर रहा है।