बच्चेदानी के कैंसर में HPV टीकाकरण बना बेटियों का सुरक्षा कवच
भयावाह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बीमारी की वजह भारत में हर नौ मिनट में एक बेटी एक बहू या एक मां दम तोड़ रही है।
लुधियाना, जेएनएन। जिस घर में बेटियां होती है, वह घर हमेशा खिलखिलाता रहता है। बिटिया वाले घर में खुशी का बसेरा रहता है। लेकिन, हस्ती खेलती बच्चियों पर वर्तमान एक खौफनाक बीमारी का मंडरा रहा है। यह खौफनाक साया है, ह्युमन पैपीलोमा वायरस का। यह वायरस महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है। भयावाह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बीमारी की वजह भारत में हर नौ मिनट में एक बेटी, एक बहू या एक मां दम तोड़ रही है। लेकिन मां बाप चाहे तो एक टीकाकरण करवाकर अपनी बेटियों को इस बीमारी से बचा सकते हैं। यह बातें एम्स नई दिल्ली के जच्चा बच्चा विभाग की प्रमुख प्रो. डा. नीरजा भाटिया ने कहीं।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी, हावर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ संचार संस्था की ओर से विश्व कैंसर दिवस पर आयोजित बेवीनार में डॉ. नीरजा ने कहा कि साफ सफाई का अभाव व असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से सर्वाइकल कैंसर खतरा बढ़ जाता है।
टीकाकरण से बचाव संभव
डॉ. नीरजा ने कहा कि इस बीमारी से लडऩे के लिए देश में वैक्सीन मौजूद है। एचपीवी टीकाकरण से इस बीमारी से बचा जा सकता है। नौ से 14 साल की लड़कियों को टीका दो डोज में लगाया जाता है। अगर भारत में उक्त उम्र की सभी लड़कियों को टीका लगवा दिया जाए तो हर साल 50,000 जिंदगियां बचाई जा सकती है।
साल 2030 तक 90 फीसद लड़कियों के टीकाकरण का लक्ष्य
वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। साल 2030 तक 15 साल तक की 90 फीसद लड़कियों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही 35 से 45 साल की 70 फीसद महिलाओं की जांच करने का लक्ष्य रखा गया है।
वैक्सीन राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होने उम्मीद
डॉ. नीरजा ने कहा कि देश में अभी एचपीवी टीकाकरण महंगा है। लेकिन अगले एक दो साल में टीका सस्ता होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि अगले साल तक इसे इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा।
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