आसमान से बरस रही आफत... पंजाब में फसलों को नुकसान, कई जिलों के लिए भारी बारिश का अलर्ट
मानसून की वापसी के बाद पश्चिमी विक्षोभ के चलते पंजाब हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश और राजस्थान में वर्षा से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने कई राज्यों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड में पहाड़ों पर बर्फबारी हुई है जबकि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।

जागरण टीम, लुधियाना। मानसून की वापसी के बाद नए पश्चिमी विक्षोभ के कारण कई राज्यों में हो रही वर्षा आफत बनकर आई है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में वर्षा से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
खेतों में खड़ी धान की फसल बिछ गई है तो दलहन, तिलहन, कपास एवं गन्ना आदि फसलों पर भी असर पड़ा है। मंडियों में आई धान भीग गई है।
मौसम विभाग ने कहीं ऑरेंज तो कहीं के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। हल्की से मध्यम वर्षा, गरज के साथ छींटे और तेज हवाओं के साथ ओले पड़ने का भी अनुमान है। सोमवार को पंजाब में सबसे ज्यादा 41.5 मिलीमीटर वर्षा पठानकोट में दर्ज की गई।
अमृतसर में 22.8 और गुरदासपुर में 19.4 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग ने राज्य में सात अक्टूबर तक राज्य में तेज हवाओं के बीच भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी वर्षा या फिर ओलावृष्टि भी होने का अनुमान है। इस अलर्ट के बाद किसानों को खेतों में खड़ी फसल खराब होने का भी डर सताने लगा है। उधर,उत्तराखंड में पहाड़ से मैदान तक गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा जारी है।
सोमवार को बदरीनाथ-केदारनाथ समेत ज्यादातर ऊंची चोटियों पर शीतकाल का पहला हिमपात हुआ। गंगोत्री और यमुनोत्री की चोटियां भी बर्फ से लकदक हो गईं।
हेमकुंड साहिब में आधा फीट बर्फबारी हुई है। वर्षा व हिमपात से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में अक्टूबर में दिसंबर जैसी सर्दी पड़ने लगी है। हिमाचल में अधिकतम तापमान में 19 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है।
रोहतांग दर्रे में वाहनों की आवाजाही बंद रही। जम्मू-कश्मीर में गुलमर्ग समेत विभिन्न उच्चपर्वतीय पहाड़ों पर बर्फबारी और जम्मू व श्रीनगर सहित निचले क्षेत्रों में वर्षा का दौरे दूसरे दिन भी जारी रहा। कटड़ा में माता वैष्णो देवी के यात्रा दूसरे दिन भी बंद रही।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत के मुताबिक, मौसम में इस बदलाव की मुख्य रूप से दो वजहें हैं। पहला- अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाएं चल रही हैं।
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