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    लुधियाना के बुड्ढा दरिया का है अपना इतिहास, गुरुनानक देव जी ने दिया नाम ताे बदली पहचान

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Tue, 08 Dec 2020 09:23 AM (IST)

    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मानिटरिंग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस जसबीर सिंह जब कुछ दिन पहले लुधियाना आए तो अफसरों ने दरिया के किनारों की व्यूटीफिकेशन का एक प्लान उनके सामने रखा। प्लान की जो ड्राइंग उनको दिखाई जा रही थी उसमें दरिया को बुड्ढा नाला लिखा गया।

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    बुड्ढा दरिया को लोगों ने अब गंदा नाला बना लिया है। (जागरण)

    लुधियाना, [राजेश भट्ट]। शहर के बीचोंबीच बह रहे बुड्ढा दरिया को लोगों ने अब गंदा नाला बना लिया है। लोग तो लोग अफसर भी इसे बुड्ढा दरिया की जगह बुड्ढा नाला कहने लगे हैं। बुड्ढा दरिया को बुड्ढा नाला भी लोग कहते हैं जो इसके धार्मिक व एतिहासिक महत्व से अनजान हैं। जो लोग इस दरिया के धार्मिक महत्व को जानते हैं उन्हें तब बहुत पीड़ा होती है जब कोई इस दरिया को बुड्ढा नाला कहकर पुकारते हैं।

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    संत सींचेवाल, सतगुरु उदय सिंह समेत जो लोग गुरुनानक देव जी को जानते हैं उन्हें इस बात से दुख होता है जब अफसर बुड्ढा दरिया को बुड्ढा नाला कह देते हैं। यही नहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मानिटरिंग कमेटी के  चेयरमैन जस्टिस जसबीर सिंह को भी इस बात पर सख्त एतराज है कि बुड्ढा दरिया को नाला कहा जाए।

    सतलुज को माना जाता है सतयुग काल का दरिया

    पीड़ा और एतराज हो भी क्यों न। क्योंकि यह सभी इस दरिया के धार्मिक, पौराण्कि व एतिहासिक महत्व को जानते हैं। बुड्ढा दरिया सतलुज की एक धारा है और सतलुज को सतयुग काल का दरिया माना जाता है। भारतीय परंपरा में नदियों को मां का स्थान दिया गया है। बहुत कम लोगों को पता है कि बुड्ढा दरिया को यह नाम प्रथम पातशाही श्री गुरुनानक देव जी ने दिया था। श्री गुरुनानक देव जी 1515 में जब कुछ घंटों के लिए लुधियाना आए और लोग उनके दर्शन करने आए, जिस जगह पर गुरु जी ने लोगों को दर्शन दिए थे वह जगह अब गुरुद्वारा गऊघाट के नाम से प्रसिद्ध और आस्था का केंद्र है।

     दरिया में नहाते थे लाेग

    इतिहासकारों के मुताबिक गुरुजी जब यहां आए थे तब सतलुज दरिया लुधियाना की सीमा को काटते हुए आबादी की तरफ आ रहा था। उस वक्त लुधियाना पर जलाल खां नाम का नवाब शासन कर रहा था। यहां पर गौहत्या चरम पर थी। अपने राज्य को सतलुज की चपेट में आता देख वह भी गुरुनानक देव जी की शरण में गया और उनसे लुधियाना को बचाने का आग्रह किया। तब गुरुनानक देव जी ने उससे शपथ ली थी कि वह लुधियाना में गौ हत्या होने नहीं देगा।

    जलाल खां ने जब गुरुजी के सामने शपथ ली तो गुरु जी ने सतलुज दरिया को यहां से सात कोस दूर जाने को कहा। सतलुज यहां से सात कोस दूर चला गया और सतलुज की एक धारा यहीं से बहने लगी। गुरु नानक देव जी ने इस धारा को तब बुड्ढा दरिया का नाम दिया था। यह बुड्ढा दरिया उस दौर में लुधियाना के लिए मुख्य जल स्नेत था। लोग इस दरिया में नहाते रहे हैं। बैसाखी के दिन गुरुद्वारा गऊघाट के पास लोग दरिया में स्नान करने आया करते थे। लेकिन पर्यावरण के दुश्मनों ने इसे गंदा कर दिया और अब तो इसे नाला कहने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।

    नाला कहना बर्दाश्त नहीं

    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मानिटरिंग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस जसबीर सिंह जब कुछ दिन पहले लुधियाना आए तो अफसरों ने दरिया के किनारों की व्यूटीफिकेशन का एक प्लान उनके सामने रखा। प्लान की जो ड्राइंग उनको दिखाई जा रही थी उसमें दरिया को बुड्ढा नाला लिखा गया। जिस पर संत बलबीर सिंह सींचेवाल व जस्टिस जसबीर सिंह ने कड़ी आपत्ति दर्ज की और कहा कि जब आप लोगों ने मान लिया है यह नाला ही है तो फिर यह कवायद क्यों। इसे नाला न लिखा जाए हम तो दरिया को साफ करना चाहते हैं।

     

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