लुधियाना: त्योहारों के बाद सोना-चांदी की कीमतों में जोरदार गिरावट, निवेशकों के लिए कैसे बना सुनहरा मौका?
त्योहारी सीजन के बाद सोना और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट आई है। 24 कैरेट सोना 1,32,500 रुपये से गिरकर 1,26,600 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया, जबकि चांदी 2 लाख रुपये प्रति किलो से गिरकर 1,55,000 रुपये प्रति किलो हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर है।

त्योहारी सीजन के बाद सोना और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट आई (प्रतीकात्मक फोटो)
मुनीश शर्मा, लुधियाना। फेस्टिवल सीजन में लगातार नई ऊंचाइयों को छूने के बाद अब सोना और चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारी दिनों में सोना-चांदी ने न सिर्फ घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय फोरेक्स बाजार में भी निवेशकों को आकर्षित किया था।
हालांकि, अब स्थिति बदल चुकी है। त्योहारी चमक खत्म होते ही बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। त्योहारी सीजन में 24 कैरेट सोना 1 लाख 32 हजार 500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था, जोकि अपने अब तक के सर्वाधिक स्तर (ऑल टाइम हाई) पर था। वहीं चांदी ने 2 लाख रुपये प्रति किलो का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था।
लेकिन अब फेस्टिवल खत्म होते ही दोनों धातुओं के दाम तेजी से नीचे आ रहे हैं। वर्तमान में सोना 1 लाख 25 हजार 600 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि चांदी 1 लाख 55 हजार रुपये प्रति किलो तक गिर चुकी है। यानी कुछ ही दिनों में चांदी करीब 45 हजार रुपये प्रति किलो सस्ती हो गई है।
लुधियाना ज्यूलर्स एसोसिएशन के प्रधान आनंद सिकरी ने कहा कि इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता है। इन कारणों से निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के तौर पर सोना-चांदी से निकलना शुरू कर दिया है।
वहीं, फेस्टिवल सीजन में खरीदारी का दबाव अधिक था, जिससे कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ी थीं। अब मांग घटने से दाम स्वाभाविक रूप से नीचे आ रहे हैं। सर्राफा बाजार में व्यापारी भी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में यदि वैश्विक आर्थिक स्थिति स्थिर रहती है, तो सोना और चांदी में और गिरावट संभव है। लुधियाना के प्रमुख ज्वेलर्स के अनुसार फेस्टिवल के दौरान भारी खरीदारी हुई थी।
हालांकि गिरावट के बाद यह स्थिति उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय दीर्घकालिक निवेशकों के लिए उपयुक्त है। क्योंकि कीमतों में आई यह गिरावट स्थायी नहीं मानी जा रही। भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंकों की गोल्ड होल्डिंग बढ़ाने की नीति भविष्य में फिर से सोने के दामों को ऊपर ले जा सकती है।
कुल मिलाकर फेस्टिवल सीजन की रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद अब सोना और चांदी की कीमतों में ठंडक आ गई है। बाजार के जानकारों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और आने वाले महीनों में वैश्विक बाजार की चाल पर निर्भर करेगी कि फिर से यह बहुमूल्य धातुएं कितनी तेजी से अपनी चमक हासिल करती हैं।

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