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    बढ़ रही लागत से वूलन उद्योग के हाथ से फिसल रहा विदेशी बाजार

    वित्त वर्ष 2014-15 में वूलेन उत्पादों का निर्यात 3012.84 करोड़ रुपये था, जो कि वर्ष 2017-18 में सिमटकर 2292.77 करोड़ रुपये रह गया है।

    By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 20 May 2018 08:55 PM (IST)
    बढ़ रही लागत से वूलन उद्योग के हाथ से फिसल रहा विदेशी बाजार

    लुधियाना [राजीव शर्मा]। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय वूलन उत्पाद परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं। पिछले चार साल से वूलेन उत्पादों के निर्यात में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वित्त वर्ष 2014-15 में वूलेन उत्पादों का निर्यात 3012.84 करोड़ रुपये था, जो कि वर्ष 2017-18 में सिमटकर 2292.77 करोड़ रुपये रह गया है। इससे उद्यमियों में चिंता बढ़ रही है। उद्यमियों का मानना है कि अमेरिका एवं यूरोप की मार्केट में सुस्ती, ओवरसीज मार्केट में चीन का दबदबा और बढ़ रही लागत के चलते ही निर्यातक विश्व बाजार से आउट हो रहे हैं।

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    साल दर साल गिर रहा निर्यात

    वूल एंड वूलन एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (डब्ल्यूडब्ल्यूईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 में वूलेन उत्पादों का निर्यात 3112.44 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2015-16 में 3.20 फीसद गिरावट के साथ 3012.84 करोड़ रह गया, जबकि वर्ष 2016-17 में यह और गिरकर 2612.77 करोड़ रुपये और वर्ष 2017-18 में यह 12 फीसद लुढ़ककर 2292.77 करोड़ रुपये पर सिमट गया।

    चीन से मिल रही कड़ी चुनौती

    उद्यमियों का तर्क है कि विश्व बाजार में चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है। चीन का माल सस्ता आ रहा है, इसलिए उनसे मुकाबला करना कठिन हो रहा है। दूसरी तरफ सरकार निर्यातकों की सुविधाएं लगातार कम कर रही है। एक्सपोर्ट प्रोमोशन केपिटल गुड्स स्कीम (ईपीसीजी) को पेचीदा बना दिया गया है, उद्यमी अब इसका सही लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि गारमेंट मशीनरी का आयात मुश्किल हो गया है।

    ऐसे में अपग्रेडेशन पर असर हो रहा है। इंसेंटिव कम किए जा रहे हैं। इससे लागत बढ़ रही है। दूसरी ओर सरकार विदेशों में फेयर के लिए दी जा रही रियायतों को भी कम कर रही है। उद्यमियों का कहना है कि काउंसिल ने चालू वित्त वर्ष के लिए विदेशों में दस फेयर लगाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था, लेकिन इसमें से छह पर ही सहमति बन पा रही है। साफ है कि उद्योग विदेशों में अपने नवीनतम उत्पादों को कारगर तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है।

    निर्यात बढ़ाने के लिए उद्योग को देने होंगे इंसेंटिव

    डब्ल्यूडब्ल्यूईपीसी के राष्ट्रीय चेयरमैन रजनीश घई का कहना है कि अमेरिका एवं यूरोप के बाजारों में सुस्ती के चलते वूलन उत्पादों के निर्यात में कमी का रुख बना हुआ है। उनका मानना है कि निर्यात बढ़ाने के लिए उद्योग को अतिरिक्त इंसेंटिव देने होंगे। इनपुट लागत को कम करने के लिए वूल आयात पर लग रही ड्यूटी कम करनी होगी। चेयरमैन ने कहा कि शीघ्र ही काउंसिल लुधियाना में नया बिजनेस सेंटर खोलेगी, ताकि वूलन उद्योग के गढ़ में उद्यमियों को दिशा दी जा सके।

    रूस में सैंपल पेश किए, पर परिणाम नहीं निकला

    निटवियर अपैरल मैनुफेक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रधान सुदर्शन जैन ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद वूलेन का निर्यात बढ़ नहीं पा रहा है। एसोसिएशन की टीम ने हाल ही में रूस समेत कुछ देशों का दौरा किया था, सेंपल भी डिस्पले किए थे, लेकिन ठोस परिणाम अभी तक मिल नहीं पाए हैं।

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